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26 मार्च 2024

तेल मिलों की खरीद कमजोर होने से सरसों के भाव नरम, दैनिक आवकों में कमी

नई दिल्ली। तेल मिलों की खरीद कमजोर होने के कारण घरेलू बाजार में शनिवार को सरसों के भाव नरम हो गए। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 25 रुपये कमजोर होकर दाम 5,475 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान सरसों की दैनिक आवक घटकर 11 लाख बोरियों की ही हुई।

विश्व बाजार में सप्ताहांत में खाद्वय तेलों की कीमतों में मंदा आया था। व्यापारियों के अनुसार प्रमुख पाम तेल उत्पादक देशों मलेशिया और इंडोनेशिया में आगामी दिनों में उत्पादन में बढ़ोतरी होने का अनुमान है, जिस कारण विश्व बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों में बड़ी तेजी के आसार कम है। ग्राहकी कमजोर होने से घरेलू बाजार में सरसों तेल की कीमतों में लगातार दूसरे दिन गिरावट दर्ज की गई, जबकि इस दौरान सरसों खल के भाव भी नरम हुए।

ब्रांडेड तेल मिलों ने सरसों की खरीद कीमतों में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती की।

उत्पादक मंडियों में शनिवार को सरसों की दैनिक आवकों में गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों के त्योहारी सीजन के साथ ही मार्च क्लोजिंग के कारण जहां सरसों की दैनिक आवक प्रभावित हुई है, वहीं मिलें भी केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रही है।

मौसम अनुकूल रहा तो सरसों की दैनिक आवक उत्पादक मंडियों में अभी बराबर बनी रहने का अनुमान है। वैसे भी चालू रबी में सरसों का उत्पादन अनुमान ज्यादा है तथा किसान माल नहीं रोक रहे हैं। दैनिक आवकों का देखते हुए तेल मिलें भी केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रही हैं। हालांकि खपत का सीजन होने के कारण सरसों तेल में मांग अभी बनी रहेगी, लेकिन इसकी कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक आयातित खाद्वय तेलों के दाम पर ही निर्भर करेगी।

विश्व बाजार में सप्ताहांत में जहां मलेशियाई एक्सचेंज में पाम तेल के दाम कमजोर हुए थे, वहीं इस दौरान शिकागो में भी सोया तेल की कीमतों में मंदा आया था। डालियान में सोया के साथ ही पाम तेल के दाम के दाम कमजोर हुए थे।

जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी और एक्सपेलर की कीमतों में शनिवार को लगातार दूसरे दिन गिरावट आई। कच्ची घानी सरसों तेल के भाव 14 रुपये कमजोर होकर दाम 1,026 रुपये प्रति 10 किलो रह गए, जबकि सरसों एक्सपेलर तेल के दाम भी 14 घटकर भाव 1,016 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। जयपुर में शनिवार को सरसों खल की कीमतें पांच रुपये कमजोर होकर दाम 2,480 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक घटकर 11 लाख बोरियों की ही हुई, जबकि पिछले कारोबारी दिवस में आवक 14.25 बोरियों की हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में नई सरसों की 6.25 लाख बोरी, जबकि मध्य प्रदेश की मंडियों में 1.25 लाख बोरी, उत्तर प्रदेश की मंडियों में एक लाख बोरी, पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों में 75 हजार बोरी तथा गुजरात में 40 हजार बोरी, एवं अन्य राज्यों की मंडियों में 1.35 लाख बोरियों की आवक हुई।

चालू समर सीजन में धान के साथ ही दलहन एवं तिलहन के बुआई में बढ़ोतरी

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में धान के साथ ही दलहन एवं तिलहनी फसलों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है। देशभर में पहली से 21 मार्च के दौरान में बारिश सामान्य की तुलना में 3 फीसदी अधिक हुई है


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 22 मार्च 24 तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई 10.16 फीसदी बढ़कर 27.97 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 25.39 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर में बढ़कर 6.42 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि  पिछले साल की समान अवधि के 5.03 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान मूंग की बुआई 4.33 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 1.92 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 3.38 लाख हेक्टेयर और 1.51 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

चालू समर सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई 10.36 फीसदी बढ़कर 6.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 6.08 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 3.41 लाख हेक्टेयर में, शीशम की 2.82 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 27,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 3.16 लाख हेक्टेयर, 2.48 लाख हेक्टेयर तथा 23,000 हेक्टेयर में ही हुई थी।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार चालू समर सीजन में 1-21 मार्च के दौरान देशभर में बारिश सामान्य की तुलना में 3 फीसदी अधिक हुई है, जबकि उत्तर पश्चिमी भारत में इस दौरान सामान्य से 5 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई।

22 मार्च 2024

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने से गुजरात साथ ही उत्तर भारत में कॉटन मंदी

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर बनी रहने के कारण बुधवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव 300 रुपये कमजोर होकर दाम 60,600 से 61,200 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 50 रुपये कमजोर होकर 6000 से 6050 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 50 रुपये घटकर 5950 से 6050 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 100 रुपये घटकर 5500 से 6150 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के दाम 200 रुपये घटकर 59,700 से 59,800 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आवक 82,800 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में शाम को गिरावट का रुख रहा। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन के दाम शाम के सत्र में गिरावट दर्ज की गई।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार विश्व बाजार में कॉटन की कीमतों में लगातार दूसरे दिन मंदा आया है, जिस कारण घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों की मांग घट गई। उद्योग के कॉटन के उत्पादन अनुमान में भी बढ़ोतरी की है।

मार्च क्लोजिंग के साथ ही त्योहारी सीजन होने के कारण चालू महीने में मिलों की खरीद सीमित बनी रहने की उम्मीद है लेकिन अप्रैल में मिलों को कॉटन की खरीद करनी होगी। उधर कपास की दैनिक आवकों में आगामी दिनों में और कमी आयगी। देशभर की छोटी स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक भी कम है। ऐसे में अप्रैल में कॉटन के दाम तेज ही होने की उम्मीद है।

सूत्रों के अनुसार पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में 11 मार्च 2024 तक देशभर की मंडियों में 230.53 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो कपास की आवक हो चुकी है।  

पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 (अक्टूबर-सितंबर) में 7 मार्च तक कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने 32.81 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो कॉटन की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की है, जिसमें से 1.91 लाख गांठ की बिक्री कर दी है। अत: निगम के पास 7 मार्च को फसल सीजन 2023-24 का 30.91 लाख गांठ का स्टॉक है।

उद्योग ने पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में कॉटन के उत्पादन अनुमान में 15.60 लाख गांठ की बढ़ोतरी कर कुल 309.70 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान जारी किया है। इससे पहले के अनुमान में 294.10 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन होने का अनुमान था। फसल सीजन 2022-23 में देशभर में 318.90 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन हुआ था।

निर्यातकों की मांग बढ़ने से बासमती चावल के साथ ही धान की कीमतों में सुधार

नई दिल्ली। निर्यातकों की मांग बढ़ने से बासमती चावल के साथ ही धान की कीमतों में सुधार आया है। उत्तर भारत के राज्यों में बासमती चावल के भाव गुरुवार को 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल तथा धान की कीमतें 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल तक तेज हुई।


हरियाणा लाइन से पूसा 1,121 सेला चावल अच्छी क्वालिटी के दाम तेज होकर 8,000 से 8,200 रुपये तथा गोल्डन सेला को दाम बढ़कर 8,400 से 8,500 रुपये तथा इसके स्टीम चावल के दाम तेज होकर 8,700 से 8,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

इस दौरान पूसा 1,509 किस्म के सेला चावल के दाम बढ़कर 6,700 से 6,800 रुपये और गोल्डन सेला के 7,000 से 7,100 रुपये तथा इसके स्टीम चावल के भाव 7,500 से 7,650 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटी अनुसार हो गए। बासमती चावल के सेला का भाव 10,000 रुपये और बासमती रॉ का दाम बढ़कर 11,500 से 12,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया।

हरियाणा की जुलाना मंडी में पूसा 1,121 किस्म के धान के दाम तेज होकर गुरुवार को 4,600 रुपये और 1,718 किस्म के 4,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सिरसा मंडी में 1,401 किस्म के धान के दाम 4,318 रुपये तथा टोहाना मंडी में 1,718 किस्म के धान के भाव 4,270 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मध्य प्रदेश की डबरा मंडी में पूसा 1,121 किस्म के धान के दाम 4,200 रुपये और 1,718 किस्म के 3,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

जानकारों के अनुसार बासमती चावल की निर्यात शिपमेंट पहले की तुलना में बढ़ी है, तथा राइस मिलों के पास उंचे दाम का धान का स्टॉक है। अत: मौजूदा कीमतों में मिलों को पड़ते नहीं लग रहे है, जिस कारण बिकवाली कमजोर है। ऐसे में बासमती चावल के साथ ही धान की मौजूदा कीमतों में और भी सुधार आने का अनुमान है।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 10 महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान बासमती चावल का निर्यात 12.31 फीसदी बढ़कर 41.05 लाख टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात केवल 36.55 लाख टन का हुआ था।

गैर बासमती चावल के निर्यात में चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान 37.34 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 91.26 लाख टन का ही हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 145.65 लाख टन का हुआ था।

जनवरी 2024 में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 5.62 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले साल जनवरी 2023 में इसका निर्यात केवल 4.57 लाख टन का ही हुआ था। गैर बासमती चावल का निर्यात जनवरी 2024 में घटकर केवल 7.84 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल जनवरी 2023 में इसका निर्यात 31.90 लाख टन का हुआ था। 

19 मार्च 2024

तेल मिलों की खरीद कमजोर बनी रहने से सरसों मंदी, दैनिक आवकों में बढ़ोतरी

नई दिल्ली। तेल मिलों की खरीद कमजोर बनी रहने से घरेलू बाजार में सोमवार को लगातार दूसरे कार्यदिवस में सरसों मंदी हो गई। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव में 100 रुपये की गिरावट आकर दाम 5,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 15.50 लाख बोरियों की हुई।


विश्व बाजार में आज खाद्वय तेलों की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। मलेशियाई पाम तेल की कीमतों में शाम के सत्र में सुधार आया, लेकिन शिकागो में सोया तेल के भाव कमजोर हो गए।   जानकारों के अनुसार मलेशियाई में उम्मीद के उल्ट पाम उत्पादों के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है, साथ ही अनुमान से कम निर्यात हुआ है, जिस कारण इसकी कीमतों में नरमी आ सकती है। घरेलू बाजार में ग्राहकी कमजोर होने से सरसों तेल की कीमतों में लगातार दूसरे कार्यदिवस में गिरावट आई है। इस दौरान सरसों खल के भाव भी कमजोर हुए।

उत्पादक मंडियों में सोमवार को भी सरसों की दैनिक आवकों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। वैसे भी उत्पादक राज्यों में मौसम साफ है, इसलिए सरसों की दैनिक आवकों का दबाव अभी बना रहेगा। चालू रबी में सरसों का उत्पादन अनुमान ज्यादा है तथा किसान माल नहीं रोक रहे हैं। दैनिक आवकों का देखते हुए तेल मिलें भी केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रही हैं। हालांकि खपत का सीजन होने के कारण सरसों तेल में मांग अभी बनी रहेगी, लेकिन इसकी कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक आयातित खाद्वय तेलों के दाम पर ही निर्भर करेगी।

मलेशियाई पाम तेल वायदा सोमवार को बढ़कर बंद हुआ, हालांकि विश्व बाजार में इस दौरान खाद्वय तेलों में मिलाजुला रुख रहा। उम्मीद से कम निर्यात के साथ ही कुछ क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ने से इसके भाव में सीमित तेजी आई।

बर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स (बीएमडी) एक्सचेंज पर जून डिलीवरी पाम तेल वायदा अनुबंध में 0.47 फीसदी की बढ़ोतरी होकर भाव 4,240 रिंगिट प्रति टन हो गए। डालियान के पाम तेल वायदा अनुबंध में 0.22 फीसदी की गिरावट आई। इसका सबसे सक्रिय सोया तेल वायदा अनुबंध 0.49 फीसदी बढ़ गया। शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर सोया तेल की कीमतें लगभग तीन महीनों के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद 0.24 फीसदी तक कमजोर हो गई।

जानकारों के अनुसार शिकागो में सोया तेल और डालियान के पाम तेल अनुबंध में सुबह के सत्र में तेजी आई थी, लेकिन दक्षिणी प्रायद्वीपीय पाम ऑयल मिलर्स एसोसिएशन (एसपीपीओएमए) के उच्च उत्पादन आंकड़े के बाद भाव कमजोर हो गए।

एसपीपीओएमए के अनुमान के अनुसार 1-15 मार्च में अनुमानित उत्पादन पिछले महीने की समान अवधि की तुलना में 38.8 फीसदी बढ़ गया।

उधर एस्पेक एग्री मलेशिया के अनुसार 1-15 मार्च के दौरान मलेशियाई पाम तेल उत्पादों का निर्यात पिछले महीने की समान अवधि की तुलना में 8.4 फीसदी बढ़ गया, जबकि कार्गो सर्वेक्षक इंटरटेक टेस्टिंग सर्विसेज ने इसी अवधि में 3.3 फीसदी की वृद्धि का अनुमान जारी किया था। व्यापारियों के अनुसार निर्यात का अनुमान उम्मीद की तुलना में कम है।

जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी और एक्सपेलर की कीमतों में सोमवार को लगातार दूसरे कार्यदिवस में कमजोर हुई। कच्ची घानी सरसों तेल के भाव 17 रुपये कमजोर होकर दाम 1,045 रुपये प्रति 10 किलो रह गए, जबकि सरसों एक्सपेलर तेल के दाम भी 17 घटकर भाव 1,035 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। जयपुर में सोमवार को सरसों खल की कीमतें 25 रुपये कमजोर होकर दाम 2,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 15.50 लाख बोरियों की हुई, जबकि पिछले कारोबारी दिवस में आवक 14.50 लाख बोरियों की ही हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में नई सरसों की आठ लाख बोरी, जबकि मध्य प्रदेश की मंडियों में दो लाख बोरी, उत्तर प्रदेश की मंडियों में दो लाख बोरी, पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों में 90 हजार बोरी तथा गुजरात में 65 हजार बोरी, एवं अन्य राज्यों की मंडियों में 1.95 लाख बोरियों की आवक हुई।

गुजरात में चालू समर में फसलों की कुल बुआई पांच फीसदी पिछड़ी

नई दिल्ली। गुजरात में चालू समर सीजन में फसलों की बुआई कुल 4.95 फीसदी पिछड़कर 18 मार्च 2024 तक केवल 6.59 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 6.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार राज्य में धान की रोपाई समर सीजन में 18 मार्च तक 87,870 हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 76,697 हेक्टेयर की तुलना में बढ़ी है।

राज्य में बाजरा की बुआई घटकर चालू समर में अभी तक केवल 1.40 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.47 लाख हेक्टेयर में इसकी बुआई हो चुकी थी। मक्का की बुआई राज्य में केवल 5,394 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 5,594 हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

दलहनी फसलों में मूंग की बुआई चालू समर सीजन में 28,587 हेक्टेयर में एवं उड़द की 15,183 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 32,981 हेक्टेयर और 17,423 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में तिलहन फसलों में मूंगफली की बुआई 34,573 हेक्टेयर में तथा शीशम की 76,334 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले समर सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 31,148 हेक्टेयर और 77,964 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

ग्वार सीड की बुआई राज्य में 879 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1,691 हेक्टेयर में हो चुकी थी। 

चालू समर सीजन में धान एवं तिलहन के साथ ही मोटे अनाजों की बुआई बढ़ी

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में धान एवं तिलहन के साथ ही मोटे अनाजों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है। दलहनी फसलों की बुआई पिछले साल के लगभग बराबर ही है।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 15 मार्च 24 तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई 8 फीसदी बढ़कर 27.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि मोटे अनाजों की बुवाई 9.1 फीसदी बढ़कर 4.19 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।

चालू समर सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई 7.3 फीसदी बढ़कर 4.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 2.7 लाख हेक्टेयर में, शीशम की 1.85 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 19,000 हेक्टेयर में हुई है।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर सीजन में 0.5 फीसदी बढ़कर 3.23 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।

मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में फसलों की कुल बुआई 7.3 फीसदी बढ़कर 39.44 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।