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18 सितंबर 2008

2009 में व्यावसायिक तौर पर मिलेगा बीटी कॉटन

चंडीगढ़ September 18, 2008
बैसिलस थ्यूरेनजिएंसिस (बीटी) कपास (हाइब्रिड) बीजों के सफल क्रियान्वयन के बाद अगले वर्ष से अब दो और आनुवंशिक रूप से बदली हुई (जेनेटिकली मोडिफाइड) फसल बीटी बैंगन और बीटी कपास (किस्म) व्यावसायिक तौर पर भारतीय बाजार में उपलब्ध होंगे।भारतीय कृषि शोध संस्थान (आईसीएआर) के के सी बंसल ने यह सूचना देते हुए बताया कि खेतों में बीटी कपास (किस्म) और बीटी बैंगन के सफल परीक्षण के बाद इन दोनों फसलों को वर्ष 2009 में बाजार में व्यावसायिक तौर पर उपलब्ध कराया जाएगा।अन्य फसलों के बारे में बंसल ने बताया कि भिंडी, बंदगोभी, फूलगोभी, मटर और चावल जैसे फसलों के परीक्षण किए जा रहे हैं और निकट भविष्य में ये फसल भी आनुवंशिक रूप से परिवर्तित किस्मों के रूप में उपलब्ध हो पाएंगे।बीटी कपास (किस्म)बीकानेरी नरमा का विपणन आईसीएआर द्वारा किया जाएगा और बीटी बैंगन का विपणन महाराष्ट्र हाइब्रिड सीड्स कंपनी करेगी। बीटी कपास हाइब्रिड की भारत में सफलता के संदर्भ में बंसल ने कहा कि देश का कपास उत्पादन साल 2001 तक स्थिर था, लेकिन आनुवंशिक रुप से बदले हुए कपास (बीटी कपास) के लॉन्च के छह वर्षों के भीतर ही भारत का कपास उत्पादन दोगुना हो गया। बीटी कपास की बदौलत भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक तथा तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक बना है।किसानों द्वारा बीटी कपास के बीजों के बढ़ते इस्तेमाल को इस वास्तविकता से जाना जा सकता है कि वर्तमान सीजन में बीज कंपनियों ने बीटी कपास हाइब्रिड बीज के 270 लाख पैकेट बेचे हैं जिसकी कीमत 2,000 करोड़ रुपये है। बंसल ने कहा कि बीटी कपास की सफलता को अन्य फसलों में भी दुहराया जाना चाहिए। उन्होंने जानकारी दी कि 60 से अधिक देशों में 50 से अधिक फलों, सब्जियों, खेत वाली फसलों और अन्य पौधों पर शोध किया जा रहा है ताकि उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिल सके।उन्होंने कहा कि जैवतकनीक (बायोटेकोलॉजी) में शोध से फसलों की उत्पदकता बढ़ सकती है जिससे विश्व भर के उपभोक्ताओं और किसानों की जरूरतें पूरी होंगी।कंसल्टेटिव ग्रुप ऑन इंटरनेशनल एग्रीकल्चरल रिसर्च (सीजीआईएआर) के अनुसार जैव तकनीक से फसलों की उत्पादकता बढ़ी है तथा इसके इसतेमाल से उत्पादकता 25 प्रतिशत और बढ़ सकती है जिससे किसानों को बढ़ती जनसंख्या की खाद्य जरूरतों को पूरी करने में मदद मिलेगी। (BS Hindi)

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