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23 सितंबर 2008

बीटी कपास के रकबे में इस साल 30 फीसदी वृध्दि

पारंपरिक कपास के बीजों की तुलना में बैसिलस थ्यूरेनजिएन्सिस (बीटी) कपास के बीजों के प्रयोग से किसानों को आय अधिक होने के कारण साल 2008 में बीटी कपास के बुआई क्षेत्र में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।तकनीक की आपूर्ति करने वाली कंपनी मैहिको मोन्सैंटो बायोटेक (एमएमबी) इंडिया के आकलन के अनुसार लगभग 40 लाख किसानों ने बॉलगार्ड-2 और बॉलगार्ड बीटी कपास की खेती 172 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की है जो भारत के खरीफ कपास के कुल रकबे, 225 लाख हेक्टेयर, का 76 प्रतिशत है।बीटी कपास के रकबे में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। साल 2006 में 87 लाख एकड़ में बीटी कपास की खेती की गई थी जो साल 2007 में बढ़ कर 144 लाख एकड़ हो गया। किसानों के पास 150 से अधिक बॉलगार्ड-2 और बॉलगार्ड बीटी कपास हाइब्रिड बीजों का विकल्प है।चालू फसल सीजन के दौरान बॉलगार्ड-2 का रकबा बढ़ कर 45 लाख एकड़ हो गया है जबकि पिछले सीजन में यह 12.2 लाख एकड़ था। उसी प्रकार बॉलगार्ड की खेती भी 172 लाख एकड़ में की गई है। बॉलगार्ड-2 एक उन्नत डबल जीन तकनीक है जो किसानों को बेहतर इन्सेक्ट रेजिस्टेंस मैनेजमेंट (आईआरएम) उपलब्ध कराता है। इसके साथ-साथ अधिक उत्पादन और कीटनाशकों पर होने वाले खर्च में बचत से किसानों को अपेक्षाकृत अधिक आय होती है। मैहिको मॉन्सैंटो बायोटेक के उप प्रबंध निदेशक राज केतकर ने कहा, 'वर्ष 2002 में बॉलगार्ड बीटी कपास के लॉन्च होने के छह वर्षों के भीतर भारत मे कपास उत्पादन दोगुना हो गया और यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बनने के साथ-साथ कपास का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया।'बॉलगार्ड के इस्तेमाल में सबसे अधिक वृध्दि महाराष्ट्र में हुई है जहां 21.6 लाख एकड़ में (वर्ष 2007 के 6.3 लाख एकड़ से 70 प्रतिशत अधिक) इसकी खेती की गई है। उसके बाद आंध्र प्रदेश 8.4 एकड़ (साल 2007 के 1.01 एकड़ की तुलना में 88 प्रतिशत अधिक) और गुजरात 5.3 लाख एकड़ (साल 2007 के 3.1 लाख एकड़ की तुलना में 42 प्रतिशत अधिक) का स्थान आता है।महाराष्ट्र कृषि विश्वविद्यालय, परभानी, के एंटोमोलॉजी विभाग के प्रोफेसर एवं प्रमुख डॉ बी बी भोसले ने कहा, 'बॉलगार्ड-2 डबल जीन तकनीक में दो बीटी प्रोटीन हैं, सीआरवाई1एसी तथा सीआरवाई2एबी जो बेहतर कीट प्रतिरोध प्रबंधन (आईआरएम) उपलब्ध कराते हैं। इन दोनों बीटी प्रोटीन के काम करने के तरीके भिन्न हैं। बॉलगार्ड-2 में दोनों प्रोटीन के प्रतिरोध की संभावना लगभग नहीं के बराबर है और इस कारण कीट प्रतिरोध प्रबंधन (आईआरएम) में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यूएस ईपीए ने बॉलगार्ड-2 के लिए 20 प्रतिशत रिफ्यूज की जरूरत को हटा दिया है और अगर हम भारत में ऐसा करते हैं तो कपास की उत्पादकता में और अधिक इजाफा कर सकते हैं।'बॉलगार्ड बीटी कपास (एकल जीन तकनीक) भारत का पहला बायोटेक फसल तकनीक है जिसे साल 2002 में जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रूवल कमिटी (जीईएसी) द्वारा भारत में ब्यापारीकरण की अनुमति मिली। (BS Hindi)

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