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21 सितंबर 2008

खाद्य तेल में गिरावट का भारत पर असर नहीं

वैश्विक बाजार में खाद्य तेलों के दामों में गिरावट का सिलसिला जारी है। खाद्य तेलों के दाम अपने उच्चतम स्तर से 38-49 फीसदी तक कम हो गये है। किन्तु इस गिरावट का फायदा देश के आम उपभोक्ता तक नहीं पहुंच रहा है। खाद्य तेलों के ज्यादातर ब्रांडों ने अभी भी अपने अधिकतम फुटकर मूल्य (एमआरपी) ऊंचे स्तरों पर रखे हुये है। दिल्ली वेजिटेबल ऑयल एसोसिएशन के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि फुटकर विक्रेता दामों में गिरावट को उपभोक्ताओं तक स्थानांतरित नहीं कर रहे है। सामान्यत थोक के दामों में गिरावट एक महीने में फुटकर बाजारों तक पहुंच जाती है। उन्होने बताया कि पिछले तीन महीने से थोक बाजार में खाद्य तेलों के दाम लगातार गिर रहे है। जबकि फुटकर बाजार में दाम लगभग स्थिर बने हुए हैं। इस समय कांडला बंदरगाह पर आयातित पॉम तेल के दाम 710 डॉलर प्रति टन तथा रिफाइंड सोया तेल के दाम 1025 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गए हैं। मार्च में इन तेलों के दाम अपने उच्चतम स्तर पर थे। उस समय पॉम तेल के दाम 1400 डॉलर प्रति टन और रिफाइंड सोया तेल के दाम 1700 डॉलर प्रति टन पहुंच गए थे। दूसरी ओर फुटकर बाजार में खाद्य तेलों के दामों में कोई कमी नही आई है। शुक्रवार को फॉरच्यून सोया तेल का एमआरपी 75 रुपये प्रति किलो का है। इसी तरह नेचुरल फ्रेश का एमआरपी 75 रुपये प्रति किलो है। यही हाल पॉम तेल के दामों में भी है। शुक्रवार को रुचि गोल्ड पॉम तेल और जेमिनी पॉम तेल का एमआरपी 65 रुपये प्रति किलो का है। । दूसरी ओर सरसों तेल के दामों की भी यही कहानी है। कनौडिया सरसो तेल के शुक्रवार को थोक भाव 83 रुपये प्रति किलो है । जबकि इसका एमआरपी 110 रुपये प्रति किलो रखा गया है। (Business Bhaskar)

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