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27 नवंबर 2008

देश में अनाज उत्पादन हो सकता है अनुमान से ज्यादा

इस साल खरीफ सीजन में खाद्यान्नों और तिलहन का उत्पादन अनुमान से ज्यादा हो सकता है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) द्वारा आयोजित एक सेमिनार में कृषि सचिव टी. नंद कुमार ने यह जानकारी दी। उन्होने कहा कि रबी सीजन के लिए फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने के लिए सरकार ने चुनाव आयोग से अनुमति मांगी है। नंद कुमार ने कहा कि खरीफ 2008-09 सीजन के लिए खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान बढ़ाकर 11.8-11.9 करोड़ टन किया जा सकता है। कृषि मंत्रालय ने इस साल सितंबर में खरीफ सीजन के लिए उत्पादन के पहले अनुमान जारी किये थे। जिसमें 11.53 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान किया गया था। यह बढ़ोतरी मुख्य रुप से चावल ,बाजरा और ज्वार के उत्पादन बढ़ने के चलते हुई है। उन्होने कहा कि इस साल धान के बुआई क्षेत्रफल में बढ़त की वजह से चावल का उत्पादन अनुमान बढ़ाकर 850 लाख टन किया जा सकता है। इसके अलावा बाजरा और ज्वार के उत्पादन अनुमान में भी बढ़ोतरी की संभावना है। पहले बाजरा का उत्पादन 91.7 लाख टन और ज्वार का उत्पादन 30.9 लाख टन होने का अनुमान था। उन्होने कहा कि हमारा अनुमान है कि इस साल खरीफ उत्पादन रिकार्ड 12.09 करोड़ टन को पार कर जायेगा। साथ ही पिछले साल के मुकाबले इस साल गेहूं और तिलहन के बुआई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है। जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि इस साल इनके रिकार्ड उत्पादन होने के आसार है। कृषि मंत्रालय ने सितंबर में जारी पहले उत्पादन अनुमान के अनुसार इस साल 785 लाख टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। इस साल 20 नवंबर तक रबी सीजन में तिलहन का बुआई क्षेत्रफल 59 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 73 लाख हैक्टेयर हो गई है। नंद कुमार ने यह भी कहा कि कुछ राज्यों में हो रहे विधान सभा चुनावों को देखते हुए रबी सीजन के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करने से पहले सरकार ने चुनाव आयोग से अनुमति मांगी है। उसके बाद ही उसकी घोषणा की जायेगी। गौरतलब है कि पिछले साल के दौरान देश के कई उत्पादक इलाकों में बेहतर मौसम रहने की वजह से गेहूं का उत्पादन बढ़ा है। यही स्थिति इस साल धान के उत्पादन में भी देखी गई है। हालांकि उत्पादन बढ़ाने में सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य भी एक बड़ा कारण साबित हुआ है। पिछले साल सरकार ने गेहूं के समर्थन मूल्य को बढ़ाकर एक हजार रुपये `िटल कर दिया था। इस साल भी एमएसपी में इजाफा होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में ज्यादा एमएसपी की आस में इस साल भी गेहूं का रकबा बढ़ सकता है। सरकार द्वारा धान के एमएसपी में इजाफा और चालू साल के दौरान बाजारों में बेहतर भाव मिलने की वजह से भी इस साल धान का रकबा बढ़ा है। जिसका असर उत्पादन पर पड़ना तय है। कमोबेश यही हालत तिलहनों में भी देखी गई है। इस साल तीन हजार रुपये `िंटल के उच्च स्तर पर चले जाने की वजह से किसानों को सोयाबीन के बेहतर भाव मिलें हैं। (Business Bhaskar)

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