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17 नवंबर 2008

केंद्र सरकार ने खाद्य तेल आयात करने की योजना टाली

नई दिल्ली : सरकार ने खाद्य तेलों के आयात की योजना टाल दी है। सरकार ने सार्वजनिक जन-वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए 10 लाख टन तक खाद्य तेल आयात करने की योजना बनाई थी। खाद्य तेल आयात को टालने का फैसला सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमतों में भारी गिरावट आने के बाद लिया है। सरकार ने मार्च में 10 लाख टन खाद्य तेल आयात करने का फैसला लिया था। हालांकि, अक्टूबर तक सरकारी एजेंसियां केवल 3.5 लाख टन खाद्य तेल ही विदेश से मंगा पाईं। अक्टूबर तक राज्य सरकारों ने इसमें से आधा हिस्सा ही लिया। इसी वजह से केंद्र ने आगे खाद्य तेल आयात को रोक दिया है। हालांकि, पीडीएस के तहत खाने के तेल का वितरण जारी रहेगा। मुमकिन है कि इस पर सब्सिडी बाजार भाव से तय होगी। माना जा रहा है कि खाद्य तेल का फ्लोर प्राइस 45 रुपए प्रति किलो रखा जाएगा। इससे ज्यादा लोगों तक सस्ती कीमत पर खाद्य तेल पहुंचेगा। पीडीएस के तहत खाद्य तेल की बिक्री 2001 में रोक दी गई थी। यह कदम अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों के दामों में भारी गिरावट के मद्देनजर उठाया गया था। बायो-ईंधन के लिए मक्के का इस्तेमाल बढ़ने के बाद इसकी कीमतों में काफी मजबूती आई थी। हेज फंडों ने भी इसका फायदा उठाने के लिए वायदा बाजार में पैसा लगाया था। हालांकि, अब हेज फंड इस बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। इसका असर खाद्य तेलों की कीमतों पर भी पड़ा है। पिछले कुछ समय में अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमतों में तगड़ी गिरावट आई है। इस माहौल में सरकार ने नेफेड, पीईसी, एमएमटीसी और एसटीसी को खाद्य तेलों का आयात रोकने का निर्देश दिया है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि दुनिया में खाद्य तेलों की कीमतों में भारी गिरावट आने के बाद भारत में खुले बाजार में यह कम कीमत पर उपलब्ध होगी। ऐसे में प्रस्तावित आयात पर दोबारा न सोचना समझदारी नहीं होगी। इससे कीमती विदेशी मुद्रा के बाहर जाने और सब्सिडी पर भी रोक लगेगी। यह सब सोचकर ही पिछले सप्ताह ईजीओएम ने कम से कम फिलहाल खाद्य तेलों पर इंपोर्ट ड्यूटी नहीं बढ़ाने का फैसला लिया था। (ET Hindi)

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