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24 दिसंबर 2008

कपास खरीदने को सीसीआई व नाफेड ने और ज्यादा लोन मांगा

देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कपास खरीदने वाली दोनों सरकारी एजेंसियों नाफेड और कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के पास नकदी का संकट पैदा हो सकता है। कपास खरीद जारी रहने से इन पर भुगतान करने का दबाव बना हुआ है। वित्तीय तंगी से उबरने के लिए दोनों एजेंसियों ने अपने बैंकों से लोन की लिमिट बढ़ाने की मांग की है। नाफेड के प्रबंध निदेशक यू. के. एस. चौहान ने बताया कि खुले बाजार में कपास के दाम एमएसपी से नीचे होने के कारण आगे भी कपास की खरीद जारी रखनी होगी। इसको देखते हुए हमने कृषि मंत्रालय से मांग की है कि हमारी बैक लोन की सीमा को बढ़ाकर 3000 करोड़ रुपये कर दिया जाये। नाफेड अभी तक 1000 करोड़ रुपये की खरीद कर चुकी है जबकि उसकी बैंक लोन की ऊपरी सीमा 1500 करोड़ रुपये है। अभी तक नाफेड ने 30 लाख गांठ कपास खरीदी है। इसी तरह 40 लाख गांठ खरीद चुकी सीसीआई ने भी अपनी बैंक लिमिट को 550 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1500 करोड़ करने की मांग की है जिससे आगे भी खरीद जारी रह सके। नकदी के अभाव के चलते सीसीआई ने मध्य प्रदेश और गुजरात में खरीद कम कर दी है। इस साल सरकार ने कपास के एमएसपी में 40 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास के दाम में गिरावट से घरेलू बाजार में भी दाम एमएसपी से नीचे चल रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास के दाम 45 सेंट प्रति पौंड रहे। गुजरात में एस-6 कपास के दाम 2170 रुपये से 2190 रुपये के स्तर पर चल रहे है।टेंडर के जरिये कपास बेचेगी सीसीआईनई दिल्ली। टैक्सटाइल कंपनियों की मांग को देखते हुए कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया कपास बेचने के लिए अगले हफ्ते टेंडर जारी कर सकती है। केंद्रीय टेक्सटाइल मंत्री शंकर सिंह वाघेला ने संवाददाताओं को बताया कि विश्व में छाये वित्तीय संकट के चलते देश के टेक्सटाइल उद्योग में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) में कमी आई है। (Business Bhaskar)

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