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31 जनवरी 2009

गेंहू का उत्पादन लक्ष्य रहेगा अधूरा?

नई दिल्ली: इस साल जनवरी में हमेशा की तरह ठंड न रहने से सरकार के माथे पर पसीना छलक आया है। दरअसल इस बार तापमान सामान्य से अधिक रहा है जिसे देखते हुए आशंकाएं उठने लगी हैं कि भारत 2008-09 में 7.9 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य हासिल कर पाएगा या नहीं। जाहिर है, चुनावी साल में ऐसी आशंकाएं किसी भी सरकार की नींद हराम कर सकती हैं। इसे देखते हुए ही हाल में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 80 रुपए बढ़ाकर 1,080 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया ताकि उपज कैसी भी हो, सरकारी भंडार में अधिक से अधिक गेहूं आ जाए और सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा अन्य कल्याण कार्यक्रमों के लिए खाद्यान्न का भंडार मजबूत बना रहे। बढ़िया खरीद होने से सरकार को जरूरी होने पर बाजार में गेहूं की कीमतों पर नियंत्रण करने में भी सहूलियत होगी। इस साल पंजाब और हरियाणा जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में तापमान सामान्य से 2-4 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा रहा है। कृषि मंत्रालय के अधिकारियों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने जनवरी में अधिक तापमान से गेहूं की उपज पर पड़ सकने वाले असर के बारे में फिलहाल कुछ नहीं कहा है लेकिन पंजाब कृषि विभाग के अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि इस साल गेहूं की पैदावार की मात्रा और गुणवत्ता, दोनों घट सकती है। जनवरी के अधिकांश समय में तापमान कम रहने से गेहूं की फसल को लाभ होता है, हालांकि पाला नुकसानदायक होता है। अधिकारियों ने कहा कि अगर अस्वाभाविक रूप से अधिक तापमान की स्थिति बनी रहती है तो नवंबर में बोई गई फसल पर असर पड़ सकता है जिसे पहले ही अपेक्षाकृत कम वर्षा की मार बर्दाश्त करनी पड़ी है। खरीफ सीजन के दौरान देश भर में उत्तर पूर्वी मानसून में 31 फीसदी कम बारिश देखी गई। हरियाणा में भी कृषि विभाग के अधिकारियों ने इसी तरह की आशंका जताई है, हालांकि गेहूं शोध महानिदेशालय, करनाल के वैज्ञानिकों ने इस पर अभी मुहर नहीं लगाई है। गेहूं शोध संस्थान के निदेशक बी मिश्रा ने कहा कि अनुकूल तापमान के कारण हरियाणा, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में इस साल गेहूं की बुवाई अक्टूबर के तीसरे सप्ताह से शुरू हो गई थी जबकि आमतौर पर इसकी शुरुआत 30 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच होती है। शीर्ष गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में गेहूं की बुवाई पश्चिमी हिस्सों में अक्टूबर के अंत में शुरू हुई जबकि मध्य भाग में धान के कारण इसकी बुवाई में देर हो गई। तापमान अधिक होने के अलावा जनवरी में शुष्क मौसम की शुरुआत भी जल्दी हो गई और रबी सीजन के लिए मामूली बारिश ही मिल सकी। इतना ही नहीं, अगले कुछ दिनों में मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में तापमान 4-7 डिग्री सेल्सियस और बढ़ सकता है। इस साल गेहूं बुवाई का रकबा करीब 2.9 करोड़ हेक्टेअर रहा और अनुमान के मुताबिक 2008-09 में उपज 20 लाख टन तक बढ़कर करीब 7.9 करोड़ टन तक पहुंच जाएगी। पिछले साल 7.84 करोड़ टन उत्पादन था।

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