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27 जनवरी 2009

बढ़ती लागत से हलकान हुए किसान कारोबारियों का धंधा भी हुआ मंदा

नई दिल्ली January 25, 2009
लागत में हो रही लगातार बढ़ोतरी आलू, टमाटर और प्याज जैसी फसलों की खेती करने वाले सब्जी किसानों के लिए शाप बनती जा रही है।
इन फसलों की खेती करने वाले किसानों के अनुसार पिछले एक साल के दौरान लागत में कुल 40 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो गई है।बाजार में अच्छी मांग न होने से किसानों को अपनी फसल बेचने के लाले तो पड़े ही हुए है, साथ में लागत बढ़ जाने से 5 से 10 फीसदी का मुनाफा पाना भी टेढ़ी खीर हो गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के सब्जी किसानों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि पिछले साल से अब तक कीटनाशक की कीमतों में 35 से 40 फीसदी, हाइब्रिड बीज की कीमतों में 5 से 10 फीसदी, उर्वरकों की कीमतों में 20 फीसदी, कृषि यंत्रों में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है। आगरा में आलू की खेती करने वाले हरेन्द्र सिंह बताते है कि लागत में हुई बढ़ोतरी ने किसानों की कमर तोड़ दी है। कारोबारी बढ़ी हुई कीमतों को सीधे किसानों पर थोप रहे है। मांग न होने के चलते बाजार में फसलों की खरीद लागत भाव से भी कम में हो रही है।220 से 250 रुपये की दर पर प्रति क्विंटल आलू की पैदावार हो रही है। जबकि बाजार में इसकी कीमत किसानों को 150 रुपये प्रति क्विंटल भी नहीं मिल रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों को बीज और कीटनाशकों का विक्रय करने वाले हेमंत मौर्य का कहना है एडुसल्फास, मोनोक्रोटोफॉस, क्लोरो पाइरीफॉस, साइपरमेथ्रीन जैसे प्रमुख कीटनाशकों की कीमतों में 35 फीसदी और सल्फर व मेन्कोजेव जैसे प्रमुख फफूंद नाशकों की कीमतों में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी होने से किसान इनकी खरीद नहीं कर पा रहे है। कारोबारी अश्विनी जैन का कहना है कि एक साल में कृषि यंत्रों की कीमतों में भी 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो गई है। (BS Hindi)

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