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25 फ़रवरी 2009

सोने में निवेश करने में बरतें सावधानी

हर बार जब इक्विटी या दूसरे बाजारों पर मंदड़ियों का कब्जा होता है तो निवेशक पैसा लगाने के लिए सोने की शरण में जाना मुनासिब समझते हैं। इस बार भी कुछ अलग नहीं है और सोना कई लोगों के लिए सुरक्षित विकल्प बन गया है। जैसा कि बाजार में तेजी के वक्त होता है , निवेशक उत्पाद विशेष के पीछे दौड़ना नहीं छोड़ते भले उसमें नियमित आधार पर इजाफा क्यों न हो रहा हो। वास्तव में यह किस्सा इक्विटी , प्रॉपर्टी और कच्चे तेल जैसे कई उत्पादों के साथ हो चुका है और इस बार बारी सोने की है जो ऐतिहासिक ऊंचाइयां छूने में लगा है। जैसी कि उम्मीद है , सोना आगे भी रिकॉर्ड स्तरों तक जा सकता है। यह कहने की जरूरत नहीं होनी चाहिए कि निवेशकों को निवेश की अपनी रणनीतियों को लेकर थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि ऐसे हालात में वह आसानी से नुकसान की चपेट में आ सकते हैं। अगले 12-24 महीने के दौरान सोना निश्चित रूप से आकर्षक विकल्प है लेकिन मौजूदा स्तरों पर निवेश के इस उत्पाद के साथ जोखिम भी जुड़ा है। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह बात है कि मांग के बजाय ऐसे दूसरे कारण हैं जो कई दूसरे उत्पादों के साथ सोने की कीमत बढ़ा रहे हैं। इन कारणों में सोने को लेकर निवेशकों में उत्साह बढ़ने और सट्टेबाजों की ओर से धातु में दिलचस्पी बढ़ना शामिल है। मौजूदा हालात में मांग की तस्वीर पर निगाह डालना काफी फायदेमंद है। कई लोगों ने इस बात पर गौर किया होगा कि मांग की प्रकृति में साफ तौर पर बदलाव आ रहा है। घरेलू खरीदार कीमतों में तेज उछाल की वजह से गहनों के लिए सोना नहीं खरीद रहे हैं। शादियों के मौसम के बावजूद ज्वैलर शिकायत कर रहे हैं कि बिक्री में दम नहीं है। दूसरी ओर निवेशक , मंदी के इस दौर में निवेश के एक विकल्प के तौर पर सोने में खासी दिलचस्पी ले रहे हैं और सुनहरी धातु में लगाई जाने वाली रकम में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वास्तव में बीते छह महीने के दौरान डेट के बाद सोना दूसरा सबसे पसंदीदा निवेश उत्पाद बनकर उभरा है। कई लोगों का मानना है कि कुछ वक्त बीतने पर न केवल छोटे निवेशक बल्कि संस्थागत निवेशकों की ओर से लगाई जाने वाली रकम का अंश सोने में बढ़ेगा क्योंकि दुनिया भर में माहौल करेंसी से सोने की ओर मुड़ रहा है। जब दूसरे विकल्प आकर्षक बन जाते हैं तो इसका यह मतलब होगा कि सोने की कीमतों में उथल - पुथल बढ़ेगी और बड़े पैमाने पर बिकवाली का दबाव देखने को मिलेगा। इसलिए निवेशकों को अपनी निवेश की अवधि को लेकर संजीदा रुख अपनाना होगा और साथ ही कीमतों की चाल पर करीबी निगाह रखनी होगी। छोटी से मध्यम अवधि के लिए निवेश करने वाले लोगों के लिए सोना वास्तव में आकर्षक विकल्प दिख रहा है और इसकी तुलना इनकम फंड जैसे कुछ डेट विकल्पों के साथ की जा सकती है। कई लोग इस बात को लेकर दुविधा में हैं कि एक्सचेंज ट्रेडेड फंड चुना जाए या फिर गोल्ड फंड जो दूसरी धातुओं और खनन कंपनियों में भी निवेश करता है। सोने की कीमतों में भारी उछाल के बावजूद गोल्ड फंड का प्रदर्शन ईटीएफ से कमतर रहा है और इसलिए फिलहाल गोल्ड फंड की तुलना में ईटीएफ बेहतर विकल्प जान पड़ रहे हैं , खास तौर से छोटी अवधि के निवेशकों के लिए। (ET Hindi)

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