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19 मार्च 2009

कपास की खरीदारी में 1,285 परसेंट की बढ़ोतरी

पुणे : महाराष्ट्र में सरकार की कपास खरीद योजना को जबरदस्त कामयाबी मिली है। साढे़ चार महीने तक सरकारी एजेंसियों ने कपास खरीदा। पिछले साल से तुलना करें तो इस बार कपास की सरकारी खरीद में 1,285 फीसदी का इजाफा हुआ है। खरीद की योजना 15 मार्च को खत्म हुई। पिछले साल राज्य और केंद्र सरकारों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) योजना के तहत मिलकर 21.3 लाख क्विंटल कपास की खरीदारी की थी जबकि इस बार आंकड़ा करीब 270 लाख क्विंटल रहा। 270 लाख क्विंटल कपास की खरीदारी 2,850 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से की गई। इससे किसानों को करीब 4,200 करोड़ मिले। महाराष्ट्र स्टेट कॉटन ग्रोअर्स मार्केटिंग फेडरेशन (महाकॉट) के प्रेसिडेंट एन पी हिरानी का कहना है, 'फेडरेशन ने लगभग 170 लाख क्विंटल कपास खरीदा जबकि कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने 100 लाख और निजी व्यापारियों ने 35 लाख क्विंटल कपास की खरीदारी की। कुल मिलाकर इस साल करीब 305 लाख क्विंटल कपास खरीदी गई।' फेडरेशन को नेशनल एग्रीकल्चर कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन (नेफेड) की तरफ से सबएजेंट के तौर पर नियुक्त किया गया था। नेफेड केंद्र सरकार की एजेंसी है और यह पहला मौका था जब वह कपास खरीदारी में उतरी थी। हालांकि कपास की वास्तविक एमएसपी 3,000 रुपए प्रति क्विंटल थी, लेकिन नमी आदि कारणों की वजह से वास्तविक खरीदारी कम कीमत पर की गई। महाराष्ट्र में इस सीजन में 310 लाख टन कपास पैदा होने का अनुमान लगाया गया था और इसमें से 305 लाख टन कपास भंडारण योजना के तहत खरीद ली गई है। इसका मतलब हुआ कि लगभग पूरी कपास खरीद ली गई है और किसानों के पास कुछ ही कपास बची है। हिरानी का कहना है, 'नेफेड ने 31 जनवरी को भंडारण समाप्त करने का निर्णय किया था क्योंकि उसकी सीमा 1,200 करोड़ रुपए की ही थी, लेकिन बाद में कृषि मंत्री शरद पवार के हस्तक्षेप के बाद सीमा बढ़ाकर 3,000 करोड़ रुपए कर दी गई और भंडारण की आखिरी तारीख भी बढ़ाकर 28 फरवरी कर दी गई।' उन्होंने बताया कि बाद में फिर तारीख को बढ़ाकर 15 मार्च कर दिया गया। (ET Hindi)

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