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26 मार्च 2009

सभी तरह की चीनी का आयात होगा शुल्क मुक्त

चुनावी माहौल में सरकार चीनी की कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने का कोई उपाय नहीं छोड़ रही है। इसके लिए जहां चीनी पर 60 फीसदी सीमा शुल्क समाप्त करने के लिए कैबिनेट नोट मंत्रिमंडल के फैसले का इंतजार कर रहा है, वहीं इसमें रॉ शुगर के शुल्क मुक्त आयात पर निर्यात की शर्त को समाप्त करने का प्रावधान भी शामिल कर लिया गया है। खाद्य और कृषि मंत्रालय में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक इस फैसले के लिए चुनाव आयोग की अनुमति भी सरकार को मिल गई है। हालांकि, इसमें पेंच यह है कि चीनी पर सीमा शुल्क समाप्त करने का फैसला 20 अप्रैल तक लटक सकता है।उक्त सूत्र के मुताबिक यह प्रस्ताव गुरुवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में आना था, लेकिन गुरुवार को यह बैठक नहीं हो रही है। इसके बाद कृषि और खाद्य मंत्री शरद पवार 20 अप्रैल से पहले दिल्ली नहीं लौट रहे हैं। इसके चलते इस बारे में फैसला उनके आने के बाद ही होगा। इस स्थिति का फायदा घरेलू चीनी उद्योग को होगा क्योंकि इस फैसले में देरी के चलते चीनी आयात होने की संभावना नहीं है।यही नहीं, चीनी पर सीमा शुल्क समाप्त होने के बावजूद इस समय आयात की संभावना काफी कम है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमत करीब 400 डॉलर प्रति टन है। रॉ शुगर (गैर-रिफाइंड चीनी) की कीमत 340 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है। इन कीमतों पर देश में आयातित चीनी की कीमत करीब 2500 रुपये प्रति क्विंटल पड़ रही है। जबकि इस समय खुदरा बाजार में घरेलू चीनी की कीमत भी 25 रुपये किलो के आसपास ही चल रही हैं। ऐसे में एमएमटीसी और एसटीसी के जरिए चीनी आयात कर उस पर उपभोक्ताओं को सब्सिडी का विकल्प ही सरकार के पास बचता है। लेकिन इस पर मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि मौजूदा कैबिनेट नोट में इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है।वहीं, एक अन्य अधिकारी का कहना है कि सरकार का असली मकसद चीनी की कीमतों को काबू में रखना है। इस मोर्चे पर सरकार का रणनीति कामयाब होती दिख रही है क्योंकि चीनी पर स्टॉक सीमा लागू करने की अधिसूचना के बाद से चीनी की थोक कीमतों में 200 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट आ चुकी है। इस समय महाराष्ट्र में चीनी की एक्स फैक्टरी कीमत 1850 रुपये प्रति क्विंटल, तमिलनाडु में 1925 रुपये और उत्तर प्रदेश में 2050 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई है। दूसरी ओर आयातित चीनी को लेकर स्थिति साफ नहीं होने से पिछले एक माह में रॉ शुगर के आयात का कोई भी नया सौदा नहीं हुआ है। इसके पहले 13 लाख टन रॉ शुगर के आयात सौदे हो चुके थे। मौजूदा समय में इस पर निर्यात की शर्त लागू होने से रुपये की विनिमय दर में हो रहा भारी उतार-चढ़ाव भी इसका कारण है। वहीं, आयातित रॉ शुगर पर निर्यात की शर्त समाप्त करने के फैसले की उम्मीद में आयात सौदे नहीं होंगे। (Business Bhaskar)

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