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27 मार्च 2009

आयात शुल्क हटने के बाद विश्व बाजार में सोया तेल के दाम बढ़े

सरकार द्वारा सोया तेल पर आयात शुल्क हटाने का फायदा देश के उपभोक्ताओं को मिलता हुआ नहीं दिख रहा है। भारत में शुल्क हटने के एक सफ्ताह में विश्व बाजार में खाद्य तेलों के दाम 4-7 फीसदी तक बढ़ गये है। वाणिज्य सचिव जी. के. पिल्लई ने 19 फरवरी को क्रूड सोया तेल पर लगने वाले 20 फीसदी आयात शुल्क को हटाने की जानकारी दी थी।एक सप्ताह पहले विश्व बाजार में क्रूड सोया तेल के दाम 725 डॉलर प्रति टन थे। जो गुरुवार को सात फीसदी बढ़कर 750 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गये है। इसी तरह क्रूड पॉम तेल के दामों में भी तेज़ी का रुख बना हुआ है। इस दौरान मलेशियाई बाजार में इसके दाम 590 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 617 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गये है। साथ ही आर बी डी पामोलिन के दाम 655 डॉलर से बढ़कर 687 डॉलर प्रति टन हो गये है। घरेलू बाजार पर आयात शुल्क हटने का कोई खास असर देखने को नहीं मिला। शुरुआत में जरुर दामों में कुछ गिरावट आई थी। किन्तु एक हफ्ते के दौरान दाम फिर से बढ़ गये हैं। इस समय देश में सरसों के दाम 2250 रुपये प्रति क्विंटल, सोयाबीन के दाम 2382 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक बी. वी. मेहता ने बिजनेस भास्कर को बताया कि आयात शुल्क में कमी का फायदा न तो देश के उपभोक्ता और न ही देश के किसानों को मिला है। इसका सीधा फायदा भारत को खाद्य तेलों का निर्यात करने वाले देशों को हुआ है। आयात शुल्क हटते ही इन देशों में खाद्य तेलों के दामों में तेज़ी आ गई। भारत पॉम तेल का आयात मलेशिया और इंडोनेशिया तथा सोया तेल का आयात ब्राजील और अर्जेनटीना से करता है। विश्व बाजार में भारत खाद्य तेलों का बड़ा खरीददार है। वह अपनी जरुरत का करीब 50 से 55 फीसदी से अधिक खाद्य तेल आयात करता है। वर्ष 2007-08 में देश में 52 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था। इस साल 60 लाख टन से ज्यादा होने का अनुमान है। इसी के चलते भारत में आयात शुल्क हटाने का असर विश्व बाजार में खाद्य तेलों के दामों में देखने को मिला है। (Business Bhaskar)

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