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21 मार्च 2009

एग्री और प्रोसेस्ड फूड निर्यात की वृद्धि दर घटने की आशंका

मुंबई. विश्वव्यापी स्तर पर कमोडिटी के मूल्यों में भारी गिरावट के चलते मूल्य के मामले में भारत के कृषि उपज और प्रोसेस्ड प्रोडक्ट के निर्यात की विकास दर घटकर 20 फीसदी रह सकती है। जबकि पिछले साल मूल्य के मामले में इस क्षेत्र के निर्यात में 46 फीसदी की प्रभावशाली बढ़त दर्ज की गई थी।एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डवलपमेंट अथॉरिटी (एपीडा) के निदेशक एस. दवे ने संवाददाताओं को बताया कि कृषि उत्पादों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थो के निर्यात विकास दर घटकर करीब बीस फीसदी रहने की संभावना है। पिछले साल के दौरान करीब 36,000 करोड़ रुपये का प्रसंस्कृत कृषि खाद्य उत्पादों का निर्यात हुआ था। एपीडा देश में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थो के निर्यात को प्रोत्साहित करने वाली सरकारी एजेंसी है जो वाणिज्य मंत्रालय के तहत काम करता है। दवे ने बताया कि वैश्विक स्तर पर कारोबार घटने की वजह से निर्यात में गिरावट देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए हम कोई सब्सिडी देने के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन इस क्षेत्र को सिर्फ कुछ कर रियायतें देने का विचार किया जा रहा है जिससे उत्पादकों को राहत मिल सके। दवे के मुताबिक पिछले दो-तीन सालों में सालाना निर्यात की विकास दर करीब 36-50 फीसदी रही। इस बार भी विकास हो रहा है लेकि न तुलनात्मकरूप से कम है। चावल और गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं होता तो निर्यात में और दस फीसदी का इजाफा हो सकता था। करीब 25 फीसदी निर्यात अमेरिका और यूरोप में हुआ है। बाकी निर्यात मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और दूसरे बाजारों में हुआ है। दवे ने बताया कि भारत से रेडी-टू-ईट मील और जूस का भी निर्यात करने की तैयारी की जा रही है। पिछले तीन-चार सालों के दौरान वैल्यू एडेड उत्पादों के निर्यात में करीब 4-5 फीसदी का इजाफा हुआ है। उन्होंने बाताया कि आगामी दिनों में खाद्य सुरक्षा के स्तर में सुधार पर ध्यान दिया जाएगा। (Business Bhaskar)

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