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28 अप्रैल 2009

राजस्थान में सरसों की आवक 40फीसदी घटने के बावजूद भाव घटे

अक्षय तृतीया के विवाह मुहूर्त के कारण आवक चालीस फीसदी कम रही। इसके बावजूद सरसों वायदा सौदों के भाव में गिरावट दर्ज की गई। सोमवार को राजस्थान की मंडियों में एक ही दिन में सरसों के भाव करीब तीन फीसदी तक लुढक गए। मौजूदा भावों में अभी दो फीसदी और गिरावट की आशंका व्यक्त की जा रही है।जयपुर मंडी के थोक व्यापारी अनिल चतर ने बताया कि अक्षय तृतीया के अबूझ विवाह मुहूर्त के कारण किसानों के ब्याह-शादी में व्यस्त होने से राजस्थान की मंडियों में आज सरसों की आवक चालीस फीसदी घटकर करीब डेढ लाख बोरी रह जाने का अनुमान है जो पिछले शनिवार को ढाई लाख बोरी थी। इसके बावजूद वायदा में नरमी और खली व तेल की कमजोर मांग से सरसों सीड में दो से तीन फीसदी की गिरावट दर्ज की गई तथा मौजूदा भाव में अभी दो फीसदी तक और गिरावट की आशंका है। वायदा में नरमी के कारण पिछले सोमवार को भी सरसों के भाव करीब चार फीसदी तक टूट गए थे। उन्होंने बताया कि वायदा में नरमी के कारण मंडियों में उठाव कमजोर रहने से आज जयपुर मंडी में सरसों 42 प्रतिशत कंडीशन के भाव शनिवार के मुकाबले आज 60 रुपए टूटकर 2480 से 2485 रुपये, भरतपुर में 2340 से 2365 रुपये और अलवर में 2325 से 2350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। एनसीडीईएक्स में 25 अप्रैल को मई वायदा सरसों 2604 रुपए क्विंटल दर्ज की गई थी जो 27 अप्रैल को करीब तीन फीसदी घटकर 2530 रुपए क्विंटल रह गई। पिछले एक सप्ताह के दौरान सरसों तेल में भी पांच फीसदी की गिरावट देखने को मिली है जबकि सरसों खली के भाव उतरकर 1200 रुपये क्विंटल रह गए हैं। उन्होंने बताया कि पिछले पंद्रह दिन से सरसों की आवक में लगातार कमी देखने को मिल रही है। यह देखते हुए अब आवक बढ़ने के आसार कम है और आवक घटने से अगले महीने सरसों में फिर तेजी देखने को मिल सकती है। भरतपुर के थोक व्यापारी पूरणमल अग्रवाल का कहना है कि सरसों में मौजूदा गिरावट का कारण तो वायदा सौदों में नरमी आना ही है लेकिन सरसों तेल का उठाव काफी कमजोर होने से भी भावों पर दबाव बना है। पिछले सप्ताह तक सरसों खली की मांग निकल रही थी लेकिन भाव ऊंचे होने के कारण खली की मांग में कमी आई है। कमोडिटी विशेषज्ञ चंद्र प्रकाश गोयल का कहना है कि वायदा में नरमी से भले ही इन दिनों सरसों के भावों पर दबाव बना है लेकिन सरसों में मंदी की धारण नहीं है तथा सरसों में फिर से तेजी बन सकती है। उन्होंने बताया कि सरसांे में तेजी-मंदी में सटोरियों का भी काफी हाथ होने तथा वायदा में सौदों में कटान से ही हाजिर मंडियों में सरसों के भावों पर दबाव बना है। (Business Bhaskar)

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