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25 अप्रैल 2009

राजनीति के शिकार हुए गेहूं किसान

पानीपत/चंडीगढ़/नई दिल्ली। किसानों से गेहूं खरीद का मसला राजनीतिक विवाद का रूप लेता जा रहा है। चुनावी माहौल में राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे से उलझी हुई हैं और इसका खमियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। हरियाणा की कांग्रेस सरकार का नया आदेश बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के शासन वाले उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए नई मुसीबत बन गया है। दरअसल, हरियाणा की हुड्डा सरकार ने एक आदेश जारी कर उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए वहां गेहूं बेचने पर रोक लगा दी है। उत्तर प्रदेश में एफसीआई की तरफ से गेहूं की खरीद नहीं हो रही है। इस वजह से किसानों को वहां न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत पर गेहूं बेचना पड़ रहा था। दूसरी ओर हरियाणा में एफसीआई की तरफ से एमएसपी पर गेहूं की खरीद की जा रही है। अपनी फसल का बेहतर मूल्य पाने के लिए यूपी के किसान हरियाणा आकर अपना गेहूं बेच रहे थे। लेकिन हुड्डा सरकार के नए आदेश से इन किसानों को अब अपना गेहूं कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। हरियाणा खाद्य व आपूर्ति विभाग के निदेशक अनिल मलिक के मुताबिक शासन को सूचना मिली है कि कम कीमत मिलने के कारण दूसर राज्यों के किसान व व्यापारी यहां अपना गेहूं लाकर बेच रहे हैं। लेकिन अब यहां हरियाणा के किसानों का ही गेहूं खरीदा जाएगा। हरियाणा सरकार ने फसल बेचने वाले किसानों के लिए पहचान-पत्र लाना भी जरूरी कर दिया है। अगर कोई गेहूं खरीदने वाली एंजेसी का एजेंट बिना परिचय पत्र के गेहूं की खरीद करेगा तो विभाग उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करगा।विभाग के संयुक्त नियंत्रक एसके गर्ग ने बताया कि यूपी सीमा से लगते हरियाणा के सभी जिलांे की मार्केट कमेटियों के सचिवों को पत्र लिख कर उन आढ़तियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिये गए हैं जो यूपी से गेहूं लाकर हरियाणा की मंडियों में बेच रहे हैं। गर्ग ने बताया कि पानीपत, यमुनानगर और सोनीपत के ऐसे पांच आढ़तियांे के लाइसेंस भी रद्द करने की सिफारिश की गई है। गर्ग ने सफाई देते हुए कहा कि सीमा पर किसानों को नहीं रोका जा रहा है। उनके मुताबिक खुद को किसान बताने वाले हरियाणा के आढ़ती ही यूपी से गेहूं लाकर यहां बेच रहे हैं।दूसरी ओर यूपी के किसानों क ा आरोप है कि हरियाणा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारी उन्हें व्यापारी बता कर चार-पांच दिनों से सीमा पर रोक रहे हैं। गौरतलब है कि चालू फसल सीजन के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1080 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। लेकिन यूपी में गेहूं इससे काफी नीचे 930-950 रुपये `िंटल के भाव पर बिक रहा है। वैसे हरियाणा के किसान भी इस आदेश से खफा हैं। उनका कहना है कि सरकार ने अपनी जरूरत का गेहूं खरीद लिया है। पहचान पत्र दिखाने का आदेश फसल न खरीदने का बहाना है। अगर उनका गेहूं नहीं खरीदा गया तो किसानों को आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।सरकारी खरीद शुरू न होने से दिल्ली के किसान भी एमएसपी से नीचे गेहूं बेचने को विवश हैं। नरेला और नजफगढ़ मंडियों में 1020-1050 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बिक रहा है। यहां एफसीआई ने अभी तक गेहूं का एक दाना भी नहीं खरीदा है। इस बारे में निगम के असिस्टेंट जरनल मैनेजर (खरीद) रवि शर्मा (दिल्ली) ने बताया कि एफसीआई एमएसपी पर गेहूं की खरीद को तैयार है लेकिन गेहूं की क्वालिटी मानकों के अनुरूप न होने के कारण ही अभी तक एमएसपी पर खरीद शुरू नहीं हो पाई है। लेकिन सवाल उठता है कि जो गेहूं दिल्ली एफसीआई के तय मानकों के अनुरूप नहीं है वह हरियाणा में मानकों पर खरा कैसे उतर रहा है। दिल्ली से रोजाना बड़ी मात्रा में गेहूं हरियाणा पहुंच रहा है। निगम के जरनल मैनेजर असित सिंह ने बताया कि दिल्ली डिसेंट्रलाइज स्टेट है इसलिए गेहूं खरीदने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। पिछले साल स्टॉक काफी कम था, अत: केंद्र के निर्देश पर एफसीआई को दिल्ली से गेहूं की खरीद करनी पड़ी थी। उन्होंने उम्मीद जताई कि चालू सीजन में भी चार-पांच हजार टन गेहूं की खरीद दिल्ली से हो जाएगी। (Business Bhaskar...R S Rana)

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