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28 अप्रैल 2009

दाल मिलों की मांग घटने से अरहर नरम

ऊंचे भावों में दाल मिलों के साथ-साथ स्टॉकिस्टों की मांग घटने से अरहर के भावों में पांच फीसदी की नरमी दर्ज की गई। जलगांव दाल मिलर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कोगता ने बताया कि अरहर के ऊंचे भाव होने के कारण दाल मिलों के साथ-साथ स्टॉकिस्टों की खरीद कमजोर पड़ गई है। जिससे घरेलू मंडियों में इसके भावों में 150 से 200 रुपये की गिरावट आकर भाव 3750-3800 रुपये और आयातित अरहर के भाव मुंबई में घटकर 3600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। अरहर दाल के भाव खुदरा बाजार में इस समय 69-70 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। अरहर की घरेलू पैदावार में कमी और म्यांमार के निर्यातकों द्वारा भाव बढ़ा देने से चालू माह में इसकी कीमतों में करीब 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ गई थी। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के मुताबिक चालू फसल सीजन में देश में अरहर की पैदावार घटकर 24 लाख टन ही होने की संभावना है। जबकि पैदावार का लक्ष्य 29 लाख टन का था। पिछले वर्ष देश में इसकी पैदावार 30 लाख टन की हुई थी। दलहन आयातक संतोष उपाध्याय ने बताया कि उत्पादक मंडियों आवक घटने और म्यांमार के निर्यातकों द्वारा भाव बढ़ा देने से चालू माह में भाव काफी तेज हो गये थे। इस समय म्यांमार के निर्यातकों द्वारा 720-730 डॉलर प्रति टन के भाव बोले जा रहे है लेकिन ऊंचे भावों में मांग कमजोर होने से आयातकों द्वारा इन भावों में नए सौदे नहीं किये जा रहे हैं।मार्च महीने के मध्य में म्यांमार से 610-620 डॉलर प्रति टन में सौदे हुए थे। सूत्रों के अनुसार वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान सरकारी एजेंसियों ने लगभग 84,140 टन अरहर के आयात सौदे किए हैं।दाल मिलर्स सुनील बंदेवार ने बताया कि प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश की उत्पादक मंडियों में अरहर की दैनिक आवक घटकर मात्र आठ से दस हजार बोरी की रह गई है। जलगांव मंडी में भाव घटकर 3750 से 3800 रुपये, अकोला में 3825 रुपये और गुलबर्गा में 3700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। उन्होंने बताया कि नई फसल की आवक में अभी करीब आठ माह का समय शेष है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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