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23 अप्रैल 2009

भारत से काली मिर्च का निर्यात घटा

कोच्चि 04 23, 2009
एक वक्त ऐसा भी था जब दुनिया भर के बाजारों में भारत का दबदबा काली मिर्च के निर्यातक के रूप में हुआ करता था लेकिन अब दुनिया में मसालों के सबसे बड़े निर्यातक वियतनाम की तुलना में वैश्विक बाजार में इसकी उपस्थिति न के बराबर है।
ताजा निर्यात के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2008 में वियतनाम के निर्यात में भारत के मुकाबले 325 फीसदी तक की बढ़त हुई है। पिछले साल वियतनाम का कुल निर्यात 89,705 टन था जबकि भारत ने महज 27,100 टन का निर्यात किया।
वर्ष 2008 में वियतनाम के निर्यात में 8 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई जबकि वर्ष 2007 में 82,904 टन थी। लेकिन वर्ष 2007 के 27,580 टन की सफलता के मुकाबले भारत का प्रदर्शन मामूली रहा। वियतनाम ने वर्ष 2006 में सबसे ज्यादा काली मिर्च का निर्यात 116,670 टन किया था जबकि भारत ने वर्ष 2007 में 27,580 टन तक का निर्यात किया।
वियतनाम ने वर्ष 2005 में रिकॉर्ड स्तर पर 96,179 टन का निर्यात किया। दिलचस्प बात है कि भारत द्वारा वियतनाम से काली मिर्च के आयात में कमी देखी गई है। वर्ष 2005 के दौरान देश ने वियतनाम से 8361 टन का आयात किया और वर्ष 2006 में इसमें गिरावट आई और यह 7843 टन हो गया।
वर्ष 2007 में 4904 टन का आयात किया गया और आयात में 100 फीसदी तक की गिरावट आई और यह 2564 टन हो गया। पिछले साल वियतनाम ने सबसे ज्यादा निर्यात 35,640 टन यूरोपीय क्षेत्रों में किया। उसके बाद 30,060 टन एशिया और 14,329 टन अमेरिका के क्षेत्रों में निर्यात किया गया।
मौजूदा जो चलन है उसके संकेतों के मुताबिक वियतनाम का कुल निर्यात वर्ष 2008-09 में मार्च तक 90,000 टन पार कर सकता है। वहीं वर्ष 2009 तक ही देश से 9847 टन का निर्यात किया गया। वर्ष 2008-09 में भारतीय निर्यात बमुश्किल 25,000 टन होगा। वियतनाम से काली मिर्च का सबसे ज्यादा आयात अमेरिका करता है।
पिछले साल अमेरिका ने 13,450 टन का आयात किया। यह बेहद दिलचस्प बात है कि वियतनाम ने कालीमिर्च की खेती 1980 के दशक के आखिरी सालों में शुरू की और वह महज एक दशक के दौरान ही दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश बन गया।
भारत में कालीमिर्च का कारोबार 1000 सालों से हो रहा है क्योंकि केरल के समुद्र तट से अरब, चीन और यूरोपीय देशों के साथ कारोबारी रिश्ते बहुत पुराने हैं। लेकिन अब भारत ने काली मिर्च के कारोबार में अपना दबदबा खो दिया है। इसकी कई वजहें भी हैं जिसमें ज्यादा ऊंची कीमत भी शामिल है। (BS Hindi)

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