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27 अप्रैल 2009

उत्तर प्रदेश के गेहूं किसानों पर हरियाणा सरकार की बढ़ी सख्ती

उत्तर प्रदेश के किसानों को हरियाणा की मंडियों मंे गेहूं बेचने से रोकने के लिए राज्य सरकार ने मंडियांे मंे वीडियोग्राफी शुरू करा दी है। हरियाणा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की तरफ से शनिवार से शुरू हुई इस सख्ती से किसान व आढ़ती दोनों परशान हैं। गुस्साए किसानों व आढ़तियों ने इसके विरोध में सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है। आढ़तियों ने तो यहां तक कहा है कि अगर सरकार इन कदमों को वापस नहीं लेती है तो वे लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने भी कहा है कि वह यूपी के किसानों के साथ हैं और जरूरत पड़ी तो वह उनके साथ सड़कों पर उतरेंगे।हरियाणा में प्रवेश पर रोक के विरोध में एक दिन पहले करनाल-मेरठ राजमार्ग पर यूपी के किसानों ने करीब तीन घंटे का जाम लगाया था। उनका कहना है कि अगर हरियाणा सरकार ने गेहूं ले जाने पर रोक नहीं हटाई तो वे भी हरियाणा से यूपी में किसी भी वस्तु या खाद्यान्न को नहीं आने देंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा का किसान अपना गन्ना पंजाब में ले जाकर बेचता है। अगर पंजाब सरकार उनका गन्ना खरीदने से मना कर दे तो क्या होगा।हरियाणा सरकार की सख्ती से हरियाणा के भी किसान काफी परेशान हैं। करनाल मंडी आने वाले कई किसानों ने कहा कि खरीद अधिकारियों ने उनसे परिचय पत्र दिखाने को कहा, लेकिन उनके पास राज्य का किसान होने का कोई सबूत उस समय नहीं था। तब उन्होंने गांव से अपने पहचान पत्र मंगवाए। उसके बाद गेहूं की ढेरी के पास खड़ा कर उनकी वीडियोग्राफी की गई। करनाल अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद गोयल ने बताया कि किसानों के साथ गेहूं खरीदने वाले आढ़ती की भी वीडियोग्राफी की जा रही है। उनसे यह भी कहलवाया जा रहा है कि मैं किसान को जानता हूं और अगर किसान हरियाणा का नहीं हुआ तो उसकी जिम्मेदारी आढ़ती की होगी।गोयल का आरोप है कि करनाल-मेरठ रोड पर यमुना पुल के रास्ते पिछले एक सप्ताह से रोजाना 200 से 300 ट्रालियां लाने वाले किसानों को डरा-धमका कर रोका जा रहा है। त्नबिजनेस भास्करत्न ने दोनों राज्यों की सीमा पर जाकर देखा तो पाया कि यमुना पुल की दूसरी तरफ यूपी सीमा में गेहूं से लदे सैकड़ों टैक्ट्रर-ट्रॉली खड़े थे।गोयल ने बताया कि करीब तीन दशकों से करनाल मंडी के तकरीबन 500 आढ़तियों से यूपी के शामली, केराना, चौसाना, गंगों, ननौता व झींझाना आदि इलाक ों से आने वाले किसानांे का लेन-देन जारी है। किसान इन आढ़तियों से फसलांे व अपनी अन्य जरूरतों के लिए इस शर्त पर कर्ज उठाते हैं कि फसल आने पर कर्ज उतार देंगे। लेकिन अब अगर किसानों को यहां आने ही नहीं दिया जाएगा तो वे आढ़तियों का कर्ज कैसे चुकाएंगे। परेशान आढ़तियों ने करनाल में शुक्रवार को सांकेतिक हड़ताल करते हुए खरीद प्रक्रिया ठप रखी। गोयल ने बताया कि पिछले साल यूपी के किसान यहां की मंडी में तकरीबन ढाई लाख क्विंटल गेहूं लेकर आए थे। करनाल मंडी एसोसिएशन के सदस्य व आढ़ती वीरन्द्र गुप्ता ने कहा कि सरकार के इस रुख का खामियाजा किसानों के साथ-साथ आढ़तियों को भी भुगतना पड़ेगा।सख्ती की बात को स्वीकार करते हुए हरियाणा के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के संयुक्त नियंत्रक एस.के.गर्ग ने कहा कि पहचान पत्र और जमीन की फर्द दिखाने पर यूपी के किसानों को नहीं रोका जा रहा है। वीडियोग्राफी पर उनकी सफाई थी कि खरीद प्रक्रिया मंे पारदर्शिता बरतने के लिए ऐसा किया जा रहा है। उनके अनुसार विभाग को परशानी इस बात से है कि अपने को किसान बताने वाले हरियाणा के आढ़ती ही यूपी से सस्ता गेहूं लाकर मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बेच रहे हैं। विभाग के उप निदेशक खरीद अश्वनी कुमार गौड़ ने भी कहा कि पाबंदी सिर्फ उन लोगों पर है, जो किसान के नाम पर यूपी से सस्ता गेहूं खरीद कर यहां की मंडियों में बेच रहे हैं। (Business Bhaskar)

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