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28 अप्रैल 2009

कृषि वैज्ञानिकों की कमी से बढ़ेगी खाद्य असुरक्षा

जलवायु परिवर्तन के गहराते संकट के दौर में गेहूं प्रजनक में विशेषज्ञता वाले वैज्ञानिकों की कमी से देश में खाद्य असुरक्षा को और बढ़ावा मिलने की आशंका है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इससे देश की कृषि विकास दर भी प्रभावित हो सकती है। गेहूं शोध निदेशालय में प्रोजेक्ट डायरक्टर जगशरण के मुताबिक देश में गेहूं प्रजनक की विशेषज्ञता वाले कृषि वैज्ञानिकों की भारी कमी है। जिससे गेहूं की पैदावार बढ़ाने वाले बीजों पर शोध करने में दिक्कतें आ सकती हैं। इस कमी को यदि पूरा किया जाता है तो खाद्य असुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से काफी हद तक निपटा जा सकता है।देश भर में गेहं प्रजनक वैज्ञानिकों की संख्या महज 240 है। साल 1960 में हरित क्रांति के समय देश में इन वैज्ञानिकों की संख्या करीब 400 थी। लेकिन उसके बाद से वैज्ञानिकों की संख्या में तेज गिरावट आई है। गेहूं प्रजनक वैज्ञानिक शोध के जरिये उज्‍जा पैदावार वाले गेहूं के बीज विकसित करते हैं। (Business Bhaskar)

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