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27 मई 2009

नई सरकार आने के बाद चीनी सौ रुपये प्रति क्विंटल सस्ती

सरकारी सख्ती का असर चीनी की कीमतों पर पड़ना शुरू हो गया है। पिछले एक सप्ताह में दिल्ली बाजार में चीनी की कीमतों में 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आकर भाव 2475 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। जबकि उत्तर प्रदेश में एक्स-फैक्ट्री दाम घटकर 2325-2350 रुपये प्रति क्विंटल रहे। यानि केंद्र में नई सरकार आने के बाद चीनी में गिरावट का रुख रहा है। उधर अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस दौरान भारत के साथ ही अन्य देशों की मांग बढ़ने से चीनी की कीमतों में 15-20 डॉलर प्रति टन की तेजी दर्ज की गई। चीनी की बढ़ती कीमतों को काबू करने के लिए सरकार गंभीर हो गई है। खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पवार 27 मई को चीनी उद्योग के अधिकारियों से मिलेंगे। कृषि और खाद्य मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद सोमवार को अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में शरद पवार ने कहा कि चीनी की कीमतें उत्पादक क्षेत्र से दूरी के कारण पश्चिम बंगाल में ज्यादा हो सकती हैं। लेकिन दिल्ली जो प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश से सटा क्षेत्र है, वहां भी चीनी की कीमतें ज्यादा होना चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि शुल्क मुक्त रॉ शुगर के आयात की समय सीमा को बढ़ाने पर केबिनेट की बैठक में विचार किया जाएगा। शुल्क मुक्त रॉ शुगर की समय सीमा एक अगस्त तक है। चालू वर्ष में मानसून अच्छा रहने की संभावना है। वैसे भी गन्ना किसानों को इस साल अच्छे दाम मिले हैं इसलिए गन्ने के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी की उम्मीद है। चालू सीजन में उत्तर प्रदेश की मिलों ने गन्ने की खरीद 160-180 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की। इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक शांति लाल जैन ने बताया कि भारत के साथ ही अन्य देशों की मांग से अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले एक सप्ताह में चीनी की कीमतों में 15-20 डॉलर प्रति टन की तेजी आकर भाव 443 डॉलर प्रति टन हो गए। इसमें करीब 35 डॉलर का भाड़ा जोड़ने के बाद दाम 478 डॉलर प्रति टन हो जाते हैं। भारत द्वारा करीब 24-25 लाख टन रॉ शुगर के आयात सौदे किए जा चुके हैं। इसमें से 17-18 लाख टन रॉ शुगर भारत पहुंच चुकी है। रॉ शुगर के दाम भी विदेशी बाजार में बढ़कर 15.80 सेंट प्रति पौंड हो गए हैं। चालू फसल सीजन वर्ष 2008-09 (अक्टूबर-सितंबर) में 147 लाख टन उत्पादन और 90 लाख टन बकाया को मिलाकर कुल उपलब्धता 237 लाख टन की बैठेगी। जबकि खपत 215-220 लाख टन होने की संभावना है। पिछले साल चीनी का उत्पादन 264 लाख टन का हुआ था। विश्वभर में चीनी उत्पादन में करीब 10 फीसदी की कमी आई है।चीनी व्यापारी सुधीर भालोठिया ने बताया कि मिलों द्वारा चीनी का कोटा साप्ताहिक जारी करने से बाजार में आवक तो बढ़ी ही है, साथ ही स्टॉकिस्टों की बिकवाली आने से भी गिरावट को बल मिला है। पिछले एक सप्ताह में चीनी की कीमतों में 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। सोमवार को दिल्ली बाजार में इसकी कीमतें घटकर 2475 रुपये प्रति क्विंटल रह गईं। एक्स-फैक्ट्री चीनी के दाम भी घटकर 2325-2350 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। (Business Bhaskar....R S Rana)

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