कुल पेज दृश्य

26 मई 2009

इस साल कम हो सकता है जीरे का निर्यात

अहमदाबाद May 25, 2009
पिछले साल जीरे का रिकॉर्ड निर्यात होने के बाद इस साल निर्यात में कमी आने के आसार हैं।
बाजार के जानकारों का कहना है कि इस साल 2008-09 में (अक्टूबर से जून के बीच) निर्यात 4 से 5 लाख बोरी (एक बोरी में 50 किलो) के बीच रहने के आसार हैं। राजकोट के प्रमुख जीरा कारोबारी बीके पटेल ने कहा, 'इसके पहले के सत्र के दौरान जीरे का निर्यात बहुत बढ़िया- करीब 7 से 8 लाख बोरी रहा था।
इसकी प्रमुख वजह यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसका भंडारण किया गया। बहरहाल इस साल निर्यात कम होकर 4 से 5 लाख बोरी रहने का अनुमान है। इसमें से 2.5 से 3 लाख बोरी जीरे का निर्यात अब तक किया जा चुका है।'
जीरे की बुवाई के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी के बावजूद इस साल खराब मौसम के चलते उपज बढ़िया नहीं रही। बाजार से जुड़े लोगों के अनुमानों के मुताबिक देश में जीरे का उत्पादन 23 से 25 लाख बोरियों में सिमट जाएगा, इसके अलावा 5 लाख बोरी जीरे का अग्रिम स्टॉक भी शामिल है।
इस तरह से देखें तो पिछले साल 2007-08 के 27 से 28 लाख टन उत्पादन की तुलना में इस साल उत्पादन कम है। पिछले साल के दौरान अग्रिम स्टॉक भी 7-10 लाख बोरियों का था। वैश्विक मंदी की वजह से इस साल निर्यात के बारे में पूछताछ भी कम रही। इसके बावजूद इस साल इस जिंस की कीमतें मजबूत बनी रहीं।
वर्तमान में जीरा (सिंगापुर क्वालिटी) की कीमत 2150-2250 रुपये प्रति 20 किलो है। इस सत्र की शुरुआत में तो जीरे की कीमतें 2400 से 2450 रुपये प्रति 20 किलो तक पहुंच गईं थीं। ऊंझा चैंबर ऑफ कामर्स के रमेश मुखी के मुताबिक कीमतें ज्यादा होने और उपज में कमी की वजह से इस साल निर्यात कम रहा।
ऊंझा, देश में जीरे के कारोबार का सबसे बड़ा केंद्र है। बहुत से अंतरराष्ट्रीय कारोबारी अभी प्रतीक्षा करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। साथ ही जून माह में तुर्की और सीरिया से आने वाली नई फसल का भी इंतजार कर रहे हैं।
ऊंझा एग्रीकल्चर प्रोडयूस मार्केटिंग कमेटी के निदेशक विष्णु पटेल ने कहा कि वर्तमान में निर्यात का कारोबार धीमा पड़ गया है, क्योंकि कारोबारी सीरिया और तुर्की से आने वाली नई फसल की प्रतीक्षा कर रहे हैं। सही स्थिति तभी सामने आएगी, जब इन दो देशों की फसल तैयार होगी तथा बाजार में आ जाएगी।
क्या है वजह?
खराब मौसम की वजह से जीरे के उत्पादन में आई जबरदस्त कमी वैश्विक मंदी की वजह से इस साल निर्यात के लिए ज्यादा नहीं मिले ऑर्डर (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: