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20 मई 2009

किराए ने बढ़ाई चीन की मुश्किलें

कोलकाता May 19, 2009
चीन को किए जाने वाले लौह अयस्क के निर्यात मूल्यों में अप्रैल के अंत से करीब 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि समुद्र के रास्ते माल ढुलाई के खर्च में बढ़ोतरी हुई है।
उद्योग जगत से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अयस्क की कीमत 48 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 54 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है। बहरहाल, कीमतों में बढ़ोतरी की प्रमुख वजह ढुलाई खर्च में आ रहा उतार-चढ़ाव है, न कि मांग में अप्रत्याशित बढ़ोतरी।
लेकिन फेडरेशन आफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज (एफआईएमआई) के अध्यक्ष राहुल बल्डोटा का कहना है कि यह बढ़ोतरी मालभाड़े की वजह से नहीं है। चीन में लौह अयस्क का आयात बढ़ा है, इसमें ज्यादा आयात आस्ट्रेलिया से हो रहा था।
उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक चीन ने गोवा से लौह अयस्क खरीदना मुनासिब समझा, जहां से सस्ते में अच्छी गुणवत्ता का अयस्क मिल रहा है। अप्रैल के दौरान चीन द्वारा लौह अयस्क का आयात रिकॉर्ड 570 लाख टन रहा।
उद्योग जगत के प्रतिनिधियों का मानना है कि लौह अयस्क की कीमतें गिरने की संभावना नहीं है, जैसा कि इस साल की शुरुआत में माना जा रहा था। उनका कहना है, 'हम सोच रहे थे कि कीमतों में 50 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है, लेकिन ऐसा संभव नहीं दिखता है।
उम्मीद की जा रही है कि इस साल चीन 60 करोड़ टन लौह अयस्क का आयात करेगा, जबकि पिछले साल उसने 44 करोड़ टन लौह अयस्क का आयात किया था। इसका सीधा असर वैश्विक कीमतों पर पड़ेगा। लेकिन ऐसा लगता है कि यूरोपीय देशों में मांग में कमी बनी रहेगी।' लोहे के कारोबार के सौदे इस साल के लिए अभी तक तय नहीं हुए हैं।
घरेलू हाजिर बाजार में भारत के पूर्वी इलाकों के बाजारों में कीमतें निर्यात मूल्य से बहुत ज्यादा हैं। बल्डोटा ने कहा कि पूर्वी क्षेत्र में मांग बहुत ज्यादा थी। उच्च गुणवत्ता वाले लोहे की कीमतें 81 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गईं, वहीं इसी गुणवत्ता का लोहा दक्षिणी भागों में बहुत कम मूल्य पर बिका।
लौह अयस्क की कीमतों में बदलाव कुछ वैसा ही हो रहा है, जैसा कि स्टील की कीमतों में हो रहा है, इसके साथ ही घरेलू बाजार में कीमतें ज्यादा हैं। वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन (डब्ल्यूएसए) के अनुमानों के मुताबिक भारत एकमात्र बड़ा देश है, जहां स्टील की मांग 2009 में बढ़ेगी। डब्ल्यूएसए में करीब 180 स्टील उत्पादक शामिल हैं। (BS Hindi)

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