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25 जून 2009

उत्पादन में गिरावट आने से जूट का भाव 94 फीसदी तक बढ़ा

उत्पादन घटने से कच्चे जूट (टीडी-5 किस्म) के दाम कोलकाता में एक साल के दौरान करीब 94 फीसदी बढ़कर 2900 रुपये प्रति क्विंटल हो चुके हैं। कारोबारियों का कहना है कि वायदा कारोबार की वजह से भी कीमतों में तेजी को बल मिल रहा है। कच्चे जूट महंगा होने के कारण हेसियन क्लॉथ के मूल्यों में भी इजाफा हुआ है। हाल ही में सरकार ने जूट उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 125 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया है। वहीं बारिश में देरी के चलते अगले सीजन में भी जूट का उत्पादन घटने का अनुमान है।इंडियन जूट मिल एसोसिएशन (आईजेएमए) के चेयरमैन संजय कजरिया ने बिजनेस भास्कर को बताया कि चालू जूट वर्ष (2008-09) में उत्पादन घटकर 82 लाख गांठ (एक गांठ 180 किलो) रहने का अनुमान है, पिछले जूट वर्ष में यह आंकडा़ 95 लाख गांठ का था। उनके अनुसार उत्पादन घटने के कारण कच्चे जूट (टीडी-5 किस्म) के दाम अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर 2900 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुके हैं। दरअसल बीते वषरें में जूट की खेती में मुनाफा न होने के कारण किसानों ने दूसरी फसलों की ओर रुख कर लिया है। इसके मद्देनजर सरकार ने हाल ही में किसानों को जूट की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अगले सीजन 2009-10 के लिए कच्चे जूट (टीडी-5 ) के एमएसपी को 125 रुपये बढ़ाकर 1375 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।वहीं गेंगेज जूट मिल के निदेशक अभिषेक पोद्दार ने बताया कि जूट बाजार में सट्टेबाजी और कच्चा जूट महंगा होने के कारण हेसियन क्लॉथ (7.5 ओंज) के दाम पिछले एक माह में ही 44000 रुपये से बढ़कर 55000 रुपये प्रति टन हो चुके है। वहीं पिछले साल सीजन की शुरूआत में इसके दाम करीब 35000 रुपये प्रति टन थे। जूट मिल एसोसिएशन के अनुसार जूट सीजन की शुरूआत से ही इसके मूल्यों में लगातार इजाफा हो रहा है। जुलाई 2008 में इसके दाम 1500 रुपये प्रति क्विंटल थे। इसी वर्ष दिसबंर में इसके भाव बढ़कर 1700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। जनवरी में जूट के दाम 2000 रुपये क्विंटल के ऊपर चले गए। मई के मुकाबले चालू माह में इसके मूल्यों में 400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो चुकी है। संजय कजरिया का कहना है कि जूट का वायदा कारोबार होने से भी इसकी कीमतों में वृद्धि हुई है। उनके अनुसार सरकार को जूट के वायदा कारोबार में पाबंदी लगा देनी चाहिए। ताकि बेहताशा बढ़ रही जूट की कीमतों को नियंत्रित किया जा सके। जूट मिल एसोसिएशन के मुताबिक बारिश में देरी के चलते अगले सीजन के दौरान भी उत्पादन कम होने की संभावना है। वर्ष 2009-10 के दौरान जूट का उत्पादन घटकर 80 लाख गांठ होने का अनुमान है। एसोसिएशन के चेयरमैन कजरिया के अनुसार अगले चार-पांच दिनों में बारिश होने पर जूट उत्पादन सुधर सकता है। गौरतलब है कि टैक्सटाइल मंत्रालय ने जूट की कमी को देखते हुए चीनी उद्योग को पैकेजिंग सामग्री के लिए पॉलीप्रोपलीन व पॉलीएथेलीन से बने बैग का उपयोग 20 फीसदी तक करने की अनुमति एक मई तक के लिए दी थी। (Business bhaskar)

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