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23 जून 2009

विदेश में भाव घटने से कॉटन निर्यातकों की मुश्किलें बढ़ीं

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में आई गिरावट से कॉटन निर्यातकों की मुश्किल और बढ़ सकती हैं। न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में कॉटन के जुलाई वायदा में पिछले एक सप्ताह में करीब आठ फीसदी की गिरावट आई है जबकि कॉटलुक इंडेक्स में इस दौरान भाव लगभग डेढ़ फीसदी गिर गए हैं। वैसे भी घरेलू बाजार में भाव तेज होने और रुपये के मुकाबले डॉलर गिरने से निर्यातकों का मुनाफा घट गया था। कपड़ा मंत्री दयानिधि मारन ने हाल ही में मुंबई में कहा कि रॉ कॉटन के निर्यात पर दी जा रही पांच फीसदी सब्सिडी को 30 जून के बाद समाप्त किया जा सकता है। ऐसे में चालू वर्ष में भारत से कॉटन निर्यात में भारी गिरावट आने की आशंका है।अंतरराष्ट्रीय बाजार न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में कॉटन के जुलाई वायदा में पिछले एक सप्ताह में करीब आठ फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।इस दौरान जुलाई वायदा के भाव 56.10 सेंट प्रति पाउंड से घटकर 51.56 सेंट प्रति पाउंड रह गए। उधर कॉटलुक इंडेक्स में इस दौरान कॉटन के दाम 62.75 सेंट से घटकर 61.65 सेंट प्रति पाउंड रह गए। घरेलू बाजार में इस समय शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव 23,200 से 23,300 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी 356 किलो) पर स्थिर बने रहे। अबोहर स्थित मैसर्स कमल कॉटन ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर राकेश राठी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि रुपये के मुकाबले डॉलर में आई गिरावट से निर्यात बेपड़ता हो गया है। ऐसे में विदेशी बाजारों में आई गिरावट से निर्यातकों को और परेशानी हो सकती है। वैसे भी घरेलू बाजार में भाव तेज चल रहे हैं। इसीलिए भारत से कॉटन निर्यात में भारी कमी देखी जा रही है।सूत्रों के अनुसार टैक्सटाइल कमिश्नर के आफिस में चालू कपास सीजन में अगस्त से मई के दौरान कॉटन निर्यात के कुल 28.96 लाख गांठों (एक गांठ 170 किलो) के सौदे पंजीकृत हुए हैं तथा इसमें से मात्र 18.21 लाख गांठ का ही शिपमेंट हुआ है। मालूम हो कि पिछले कपास सीजन में भारत से लगभग 85 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था। मई महीने में 554,141 गांठ के निर्यात का रजिस्ट्रेशन हुआ है जबकि अप्रैल महीने में 335,781 गांठ का रजिस्ट्रेशन हुआ था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन के भावों में और गिरावट आई तो आगामी महीने में निर्यात में भारी कमी आ सकती है। अभी कॉटन के निर्यात पर निर्यातकों को पांच फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है लेकिन हाल ही में कपड़ा मंत्री दयानिधि मारन ने कहा है कि 30 जून के बाद सब्सिडी समाप्त की जा सकती है।चंडीगढ़ स्थित मैसर्स राणा पोलिकोट के वाइस प्रेसीडेंट वाई. एन. त्रिपाठी ने बताया कि पिछले साल हुए कुल निर्यात में से करीब पचास फीसदी चीन को निर्यात हुआ था लेकिन चालू सीजन में चीन की मांग भारत से काफी कमजोर बनी हुई है। उन्होंने बताया कि भारत में इस समय ज्यादातर स्टॉक सरकारी एजेंसियों नैफेड और कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया के पास है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट और निर्यात में कमी आने के बाद भी घरेलू बाजार में कपास के मौजूदा भावों में भारी गिरावट के आसार नहीं है। हालांकि बढ़िया क्वालिटी के कॉटन की मांग में आगामी दिनों में इजाफा हो सकता है। (Buisness Bhaskar....R S Rana)

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