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20 जून 2009

कृषि पर संरक्षणवाद उचित नहीं: भारत

वाशिंगटन: संरक्षणवाद के खिलाफ भारत ने विकासशील देशों की तरफ से एक बार फिर झंडा बुलंद किया है। अमेरिका सहित दुनिया के सभी विकसित देशों से भारत ने दोहा बातचीत पर लचीला रुख अपनाने उल्लेखनीय है कि विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व कर रहे भारत और अमेरिका के बीच मतभेद होने के कारण जुलाई 2008 में दोहा दौर की बातचीत में गतिरोध आ गया था। दरअसल भारत विकासशील देशों के कृषि क्षेत्र के संरक्षण के लिए विशेष सुरक्षा चाहता है जिस पर विकसित देश राजी नहीं हैं। शर्मा ने कहा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चाहते हैं कि इस बार यह बातचीत सफलतापूर्वक खत्म हो। वाशिंगटन में एक सम्मेलन में वाणिज्य मंत्री ने कहा, 'मुझे प्रधानमंत्री की तरफ से यह आदेश मिला है। प्रधानमंत्री का मानना है कि मौजूदा आर्थिक संकट को एक सकारात्मक संदेश की तरह लेकर वैश्विक व्यापारिक अवरोधों को खत्म करना चाहिए ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था को सहयोग मिल सके।' मौजूदा वैश्विक संकट को चुनौती और मौका, दोनों मानने वाले शर्मा का कहना है कि वैसे देश जो इसमें अहम भूमिका निभा सकते हैं, जो इसके लिए रोडमैप तैयार कर सकते हैं, उन्हें गंभीर और खुले दिमाग से काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, 'हम लोगों को मुक्त आवाजाही और मुक्त व्यापार की सुविधा मुहैया कराएंगे।' इस मामले को लेकर देश में संबंधित पक्षों के साथ बैठकों का हवाला देते हुए शर्मा ने कहा कि इस हफ्ते उन्होंने वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के साथ भी इस मामले में बातचीत की थी। उन्होंने कहा, 'हम लोगों ने सुझावों और सिफारिशों की अपनी सूची सौंप दी है। मुझे उम्मीद है कि इसमें से काफी कुछ बजट प्रस्ताव में नजर आएगा।' शर्मा ने यह भी कहा, 'व्यापार को पटरी पर लाने के लिए पहले ही दो राहत पैकेज दिए जा चुके हैं। हम लोग नकदी की आसान उपलब्धता और आयात शुल्क की वापसी सहित कुछ उपायों को बरकरार रखना चाहते हैं।' सम्मेलन में वाणिज्य मंत्री ने यह भी कहा, 'इसके साथ हम बजट प्रस्ताव पेश करने के बाद विदेश व्यापार नीति की समीक्षा करेंगे। विदेशी कारोबार नीति में क्या फेरबदल किए जा सकते हैं, इस मामले में मैं अगस्त में खुलासा करूंगा।' (ET Hindi)

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