कुल पेज दृश्य

25 जुलाई 2009

नहीं होगा गेहूं एवं चावल का निर्यात

नई दिल्ली July 24, 2009
कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि कम बारिश के मद्देनजर राजनयिक स्तर पर भी गैर बासमती चावल और गेहूं के निर्यात को रोका जाएगा।
खाद्यान्नों की उपलब्धता बनाए रखने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है। पवार ने आज राज्यसभा में कहा कि स्थिति पर सरकार की नजर है और दालों की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर इसे आम लोगों को मुनासिब कीमत पर मुहैया कराने के लिए जनवितरण प्रणाली की मदद ली जाएगी।
सूखे की स्थिति पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का उत्तर देते हुए उन्होंने स्वीकार किया कि मानसून में देर के कारण देश में स्थिति गंभीर है लेकिन स्थिति में सुधार हो रहा है। बिहार को डीजल सब्सिडी में 50 प्रतिशत मदद देने का भी आश्वासन दिया। बिहार सरकार अपने यहां किसानों को डीजल पर प्रति लीटर 15 रुपये की सब्सिडी दे रही है।
गौरतलब है कि सरकार ने राजनयिक स्तर पर 20 लाख टन गैर बासमती चावल निर्यात करने का ऐलान किया था। इनमें से 10 लाख टन अफ्रीकी देशों को निर्यात किया जा चुका है। 10 लाख टन गैर बासमती चावल का निर्यात अभी और किया जाना था।
सरकार ने कुछ दिन पहले 20 लाख टन गेहूं निर्यात का भी फैसला किया था। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के ताजा अनुमान के मुताबिक जून-सितंबर के बीच मानसून के दौरान होने वाली बारिश सामान्य से कम रहेगी।
बिहार व उप्र में बुआई में कमी
पवार ने कहा कि जुलाई में 93 प्रतिशत बारिश होने का अनुमान है वहीं अगस्त में यह अनुमान 101 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि इसी हफ्ते ही स्थिति में सुधार होने की संभावना है।
उन्होंने जलाशयों में भी स्थिति सुधरने की बात की और कहा कि भाखड़ा नांगल में भी सुधार दिख रहा है। उन्होंने कहा कि केरल कर्नाटक आदि राज्यों ने उन्हें कम बारिश होने से संबंधित स्थिति के बारे में जानकारी दी है और केंद्र सरकार उन्हें जरूरी मदद देगी।
धान का जिक्र करते हुए पवार ने कहा कि कम बारिश के बावजूद पंजाब हरियाणा आदि राज्यों में किसानों ने व्यक्तिगत स्तर पर पहल करते हुए बुआई की है और वहां बुआइक्षेत्र में कमी नहीं आई है। लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कम क्षेत्र में बुआइहुई है।
खाद्यान्नों की उपलब्धता का जिक्र करते हुए पवार ने सदस्यों को आश्वस्त किया कि इस बारे में चिंता की कोई बात नहीं है और 13 महीने का भंडार मौजूद है।
दाल मिलेंगी पीडीएस के तहत
देश में दाल की आसमान छूती कीमतों से आम आदमी को राहत दिलाने के लिए केंद्र ने मुनासिब कीमत पर इसे मुहैया कराने के लिए जनवितरण प्रणाली की मदद लेने की घोषणा की है।
पवार ने कहा कि स्थिति पर सरकार की नजर है और दालों की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर इसे आम लोगों को मुनासिब कीमत पर मुहैया कराने के लिए जनवितरण प्रणाली की मदद ली जाएगी। दालों की कीमतों में हो रही भारी वृध्दि पर पवार ने कहा कि यह अस्थाई घटना है और इसमें जल्दी ही सुधार आएगा।
उन्होंने कीमतों में हुई भारी वृध्दि का कारण बताते हुए कहा कि इसकी फसल मुख्य रूप से मध्य प्रदेश महाराष्ट्र कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में होती है जो बहुत हद तक बारिश पर निर्भर हैं।
अगर बारिश अच्छी होती है तो दालों की फसल भी अच्छी होती है। उन्होंने कहा कि दालों की मांग और आपूर्ति में अंतर है तथा इसे पूरा करने के लिए हमें आयात करना होता है।
जलवायु परिवर्तन पर विचार
जलवायु परिवर्तन के बारे में पवार ने कहा कि पूरी दुनिया में इस पर विचार हो रहा है और भारत भी इससे अछूता नहीं है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में विचार विमर्श करने के लिए हमने उच्चस्तरीय बैठक की है। प्रधानमंत्री ने भी इसे गंभीरता से लिया है और इस दिशा में एक समूह गठित किया है। इस समूह के अध्यक्ष प्रधानमंत्री स्वयं हैं।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि शोधों में बदलाव किया जा रहा है और ऐसी किस्में विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है जो बदलती स्थिति के अनुकूल हों और उनमें समय भी कम हो। उन्होंने कहा कि गेहूं की 12 से अधिक किस्में तैयार की जा रही हैं जो जलवायु परिवर्तन की स्थिति के अनुकूल हैं।
असम व मणिपुर सूखा घोषित
पवार ने कहा कि सूखा घोषित करने का अधिकार और जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है। असम मणिपुर की सरकारों ने इस संबंध में घोषणाएं की हैं।
मध्य प्रदेश का जिक्र करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि वहां की सरकार ने पिछले साल के लिए सूखा घोषित किया है ताकि उनके ऋण एवं अन्य मामलों में किसानों को राहत मुहैया कराई जा सके। उन्होंने कहा कि सूखे की स्थिति आमतौर पर अगस्त एवं सितंबर में घोषित की जाती है। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: