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25 जुलाई 2009

चांदी कारोबारियों को दीवाली में तेजी की उम्मीद

नई दिल्ली : दिल्ली में चांदी का कारोबार ऊंची कीमतों और कम मांग की वजह से मंदी के दौर से गुजर रहा है। चांदी के गहनों, बर्तन और सिक्कों का कारोबार पिछले साल के मुकाबले घटकर 25 फीसदी रह गया है। चांदी की मांग हर साल दीपावली के वक्त काफी तेज होती है, ऐसे में दिल्ली के चांदी कारोबारियों को अब दीवाली का बेहद शिद्दत के साथ इंतजार है। चांदनी चौक के कूचामहाजनी में मौजूद बुलियन मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रीकिशन गोयल के मुताबिक, 'आम वक्त में दिल्ली में चांदी की सालाना खपत 500 टन के करीब रहती है। लेकिन जब से कीमतों में तेजी आई है चांदी की मांग पर काफी असर पड़ा है। इस वक्त बिक्री घटकर करीब एक टन रोजाना पर आ गई है।' गोयल का कहना है, 'हमें दीवाली का इंतजार है। यही वह वक्त होता है जबकि चांदी की सबसे ज्यादा मांग होती है।
हमें इस दौरान मांग में तेजी आने की उम्मीद है, लेकिन सही स्थिति का अंदाजा एक महीने बाद ही लगाया जा सकेगा।' दिल्ली में चांदी की कीमत इस वक्त 22,500 रुपए प्रति किलो चल रही है। पिछले साल अक्टूबर के वक्त चांदी 16,000 रुपए प्रति किलो के स्तर पर थी। इस तरह से चांदी की कीमत 30 फीसदी ऊपर चढ़ चुकी है। दिल्ली में शादियों के दौरान चांदी के जेवरों की ज्यादा बिक्री नहीं रहती है। शादियों के दौरान चांदी के बर्तनों, टी सेट की खासी बिक्री होती है। इसके अलावा शादियों में चांदी के सिक्के गिफ्ट देने का अच्छा-खासा प्रचलन दिल्ली में हैं। पिछले साल से चांदी की कीमतों में तेजी का दौर चल रहा है। इस वजह से लोग चांदी खरीदने से दूर हुए हैं। भारत में हर साल 3,000 से 4,000 टन चांदी का आयात होता है। इस तरह से देखा जाए तो हर महीने देश में 100 से 300 टन चांदी का आयात होता है। लेकिन इस साल की पहली छमाही में चांदी का आयात गिरकर 54 टन पर आ गया है। दरीबा बाजार के बंसल आभूषण भंडार के विजय बंसल के मुताबिक, 'दिल्ली में करीब 5,000 दुकानदार चांदी के कारोबार से जुड़े हुए हैं। कम मांग के चलते कारोबार में मंदी बनी हुई है।' बंसल कहते हैं कि खराब स्थितियों के चलते दुकानदार चांदी का स्टॉक भी नहीं कर रहे हैं। चांदी की कीमतों में तेजी की वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में सिल्वर ईटीएफ में लोगों का बढ़ता निवेश भी एक बड़ी वजह है। आंकड़ों के मुताबिक मई 2006 में सिल्वर ईटीएफ में 2,000 टन का निवेश था जो कि अक्टूबर 2008 में बढ़कर 8,000 टन से ज्यादा हो गया है। औद्योगिक, गहनों और निवेश के लिए चांदी की खपत होती है। दुनिया भर में चांदी की कुल खपत का 55 से 60 फीसदी हिस्सा औद्योगिक इस्तेमाल में जाता है। इसके बाद बची हुई चांदी को निवेश और गहनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। (
ET Hindi)

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