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25 जुलाई 2009

अल्यूमीनियम की औद्योगिक मांग सुधरने से दाम पांच फीसदी बढ़े

अल्यूमीनियम की औद्योगिक मांग बढ़ने के कारण लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में इसके दाम पांच फीसदी और घरेलू बाजार में 8 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। एलएमई की तर्ज पर घरेलू बाजार में भी इसके मूल्यों में इजाफा हुआ है। जुलाई के दौरान एलएमई में अल्यूमीनियम तीन माह डिलीवरी के दाम 1650 डॉलर से बढ़कर 1730 डॉलर प्रति टन हो गए है। वहीं मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में एक जुलाई को अल्यूमीनियम जुलाई अनुबंध के दाम 79.15 रुपये प्रति किलो थे जो शुक्रवार को बढ़कर 86.20 रुपये प्रति किलो हो गए। वहीं दूसरी ओर एलएमई में अल्यूमीनियम महंगा होने की वजह से प्रमुख घरेलू अल्यूमीनियम उत्पादक कंपनी नेशनल अल्यूमीनियम कंपनी (नाल्को) ने अल्यूमीनियम के मूल्यों में पांच फीसदी की वृद्धि की है। एंजिल ब्रोकिंग के विश्लेषक अनुज गुप्ता ने बिजनेस भास्कर को बताया कि अल्यूमीनियम की औद्योगिक मांग बढ़ने के कारण इसकी कीमतों में तेजी आई है। उनके अनुसार चीन सरकार द्वारा राहत पैकेज देने के बाद वाहन निर्माताओं खासकर कार उद्योग से मांग निकल रही है। जून माह के दौरान चीन में अल्यूमीनियम का आयात मई के मुकाबले 6.5 फीसदी बढ़कर 3.53 लाख टन हो गया। चालू वर्ष के पहले छह माह के दौरान रिफाइंड अल्यूमीनियम का आयात पिछली समान अवधि के मुकाबले 16 गुना बढ़कर 10 लाख से ऊपर हो चुका है। शंघाई फ्यूचर एक्सचेंज में अल्यूमीनियम नवंबर वायदा 2.4 फीसदी बढ़कर 14,260 युआन प्रति टन हो गए जो पिछले साल अक्टूबर के बाद सर्वोच्च स्तर पर है। हरिओम वर्मा का कहना है कि घरेलू बाजार में वाहन निर्माताओं की ओर से अल्यूमीनियम की मांग बढ़ी है।दरअसल अल्यूमीनियम की खपत निर्माण और ऑटो सेक्टर में काफी होती है। भारतीय ऑटोमोटिव कंपनियों के संगठन सियाम के अनुसार जून माह के दौरान पैसेंजर कारों की बिक्री 8 फीसदी बढ़कर 1.07 लाख और मोटरसाइकिल की बिक्री 16.23 फीसदी बढ़कर 5.50 लाख हो गई है। यही कारण है कि बीते महीनों में अल्यूमीनियम की घरेलू मांग में इजाफा हुआ है। भारत में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान अल्यूमीनियम का उत्पादन 19 फीसदी बढ़कर 3.70 लाख टन रहा। एलएमई में अल्यूमीनियम का स्टॉक 1,825 टन घटकर 45.53 लाख टन रह गया। पहले इसका स्टॉक 46 लाख टन से ऊपर चला गया था।पिछले 31 मार्च को समाप्त हुए वित्त वर्ष के बाद भारत सरकार ने कहा था कि सड़क निर्माण, टेलीफोन, बिजली और सिंचाई क्षेत्र में 17,900 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके बाद ही धातुओं की मांग में भारी इजाफा हुआ है। अल्यूमीनियम की खपत आटोमोबाइल क्षेत्र में 26 फीसदी, पैकेजिंग में 22 फीसदी, कंस्ट्रक्शन में 22त्न बिजली में 8 फीसदी, मशीनरी में 8 और अन्य क्षेत्रों में 14 फीसदी होती है। इसका सबसे अधिक उत्पादन एशिया में 43त्न होता है इसके बाद 24त्न यूरोप में, 22त्न अमेरिका में और पांच फीसदी अफ्रीका में होता है। (Business Bbhaskar)

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