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24 जुलाई 2009

आर्थिक सुधार के संकेतों से जापान में रबर के भाव चढ़े

जापान में नेचुरल रबर के वायदा भाव में लगातार सातवें दिन बढ़त जारी रही। रबर के भाव दस सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के कारण नेचुरल रबर की औद्योगिक खपत बढ़ने की संभावना है। इससे मांग में सुधार होने की उम्मीद में रबर के भाव बढ़ते जा रहे हैं। टोक्यो में रबर के वायदा भावों में एक फीसदी से भी ज्यादा की बढ़ोतरी रही और यह 10 सप्ताह के उच्चतम स्तर 177 येन प्रति किलोग्राम पर पहुंच गए। गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जापान का रबर निर्यात जून में पिछले छह महीनों में सबसे कम रहा। कमोडिटी ब्रोकर फुजिटोमी कंपनी के मुख्य विश्लेषक काजुहितो सैतो ने बताया कि आर्थिक सुधारों की खबरों से बाजार आशावादी बना हुआ है।रबर की आगे भी कीमतें इस बात पर निर्भर करेंगी कि मांग में बढ़त निवेशकों की उम्मीद पूरी करती है या नहीं। प्राकृतिक रबर के दिसंबर के लिए सौदे सबसे आकर्षक रहे। टोक्यो कमोडिटी एक्सचेंज में सबसे सक्रिय नेचुरल रबर दिसंबर वायदा के भाव 1.7 येन बढ़कर 176.7 येन प्रति किलोग्राम (1,883 डॉलर प्रति टन) तक पहुंच गया। बाद में इस कांट्रेक्ट का भाव 175.2 येन प्रति किलो पर बंद हुआ। जारी आंकड़ों में कहा है कि जापान का रबर निर्यात जून में 35.7 फीसदी गिरा है जबकि एक साल पहले मई में 40.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। इस तरह जून में निर्यात मई के मुकाबले 1.1 फीसदी सुधर गया। एक साल में पहली बार पिछले माह नेचुरल रबर के निर्यात में गिरावट कम रही। एक साल से ज्यादा समय से आर्थिक संकट के कारण रबर का निर्यात लगातार गिर रहा है। नेचुरल रबर के दाम में बढ़त कच्चे तेल की गिरावट के कारण सीमित हो गई। अमेरिका में उम्मीद से ज्यादा कच्चे तेल की इन्वेंट्री रहने की संभावना से भाव गिरे थे। कच्चे तेल की गिरावट से सिंथेटिक रबर सस्ती होने से नेचुरल रबर की तेजी सीमित रही। उधर नेचुरल रबर के सबसे सक्रिय कांट्रेक्ट के भाव इस साल 29 फीसदी सुधर चुके हैं। पिछले साल इसमें 56 फीसदी गिरावट आई थी। आर्थिक सुस्ती के कारण मांग घटने पर उत्पादकों ने सप्लाई घटा दी थी। चीन और यूरोप में कारों और पैसेंजर गाड़ियों का निर्माण बढ़ा है ऐसे में रबर की मांग बढ़ेगी। वहीं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े रबर उत्पादक देश इंडोनेशिया ने चालू वर्ष के लिए रबर उत्पादन का अनुमान 25 लाख टन से घटाकर 22 लाख टन कर दिया है। इंडोनेशियन रबर एसोसिएशन के चेयरमैन असरिल सुतन आमिर ने कहा कि कम कीमतों के कारण किसान रबर उत्पादन में ज्यादा रुचि नहीं ले रहे हैं। (Business Bhaskar)

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