कुल पेज दृश्य

29 अगस्त 2009

सरकार जल्द दे सकती है चीनी आयात की इजाजत

नई दिल्ली : आम आदमी की जेब में ही नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ यूपीए के साझेदार दलों के बीच भी कड़वाहट घोलने पर आमादा दिख रही चीनी की बड़ी मात्रा जल्दी ही आयात की जा सकती है। लेवी कोटे के लिए चीनी की मात्रा बढ़ाने पर चीनी उद्योग के साथ सरकार की बातचीत के कई दौर बेनतीजा होने और कांग्रेस के कुछ नेताओं के बाद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के भी खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पवार को चिट्ठी भेजने से चीनी को लेकर सियासी बेचैनी बढ़ती दिख रही है। इसके चलते सरकार और मंत्रियों का अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) अगले चार महीनों में करीब 50 लाख टन चीनी आयात करने को हरी झंडी दिखा सकती है।
पवार ने भी मान लिया है कि गन्ने की पेराई के 2009-10 सत्र में आपूर्ति के मोर्चे पर करीब 90 लाख टन चीनी की तंगी का सामना करना पड़ सकता है। चीनी उत्पादन के दिग्गज राज्य महाराष्ट्र के कांग्रेसी नेताओं ने मनमोहन सिंह सरकार से गुहार लगाई है कि चीनी की बेकाबू होती कीमतों और राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए ईजीओएम इस साल कम से कम 25 लाख टन और 2009-10 के लिए भी 25 लाख टन चीनी आयात का निर्णय तत्काल कर ले क्योंकि बाद में अंतरराष्ट्रीय भाव और चढ़ सकते हैं। बताया जाता है कि माल की कमी का सामना कर रहे भारतीय कारोबारियों ने न्यूयॉर्क फ्यूचर में गिरावट का फायदा उठाने के लिए पिछले 10 दिनों में करीब 5 लाख टन कच्ची ब्राजीलियाई चीनी का सौदा कर लिया है। न्यूयॉर्क के अक्टूबर कॉन्ट्रैक्ट के तहत ब्राजीलियाई चीनी 100 बेसिस प्वाइंट डिस्काउंट पर उपलब्ध थी। एक समाचार एजेंसी के अनुसार सिंगापुर के एक डीलर ने कहा, 'भारत से अधिकांश खरीदारी ब्राजीलियाई चीनी की हो रही है। संभवत: इससे ही बाजार को सहारा मिल रहा है क्योंकि जब भी गिरावट आती है, भारत की ओर से खरीदारी शुरू हो जाती है।' अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्ची चीनी के वायदा भाव भारत से भारी मांग के संकेतों के कारण 28 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। सफेद चीनी ने भी इसका अनुसरण किया। दिलचस्प है कि इस महीने चौथी बार पवार से मिले चीनी उद्योग के प्रतिनिधियों ने भी मंगलवार को सुझाव दिया कि आपूर्ति के मोर्चे पर दिक्कत सुलझाने के लिए सरकार को तत्काल चीनी आयात करना चाहिए। करीब 40 लाख टन चीनी (कच्ची और सफेद, दोनों) के आयात का सौदा फिलहाल किया जा चुका है जिसमें से 23 लाख टन माल भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच चुका है। इसकी वजह से चीनी क्षेत्र पर नजर रखने वाले विश्लेषकों का अनुमान है कि 2009-10 के चीनी वर्ष में लगभग 40 लाख टन चीनी जाएगी। बहरहाल इसके बावजूद 2009-10 में महज 145-160 लाख टन ही उत्पादन होने के अनुमान को देखते हुए आपूर्ति में बहुत अधिक कमी की आशंका है। (इत हिन्दी)

कोई टिप्पणी नहीं: