कुल पेज दृश्य

31 अगस्त 2009

क्या तेजी की राह पर बरकरार रहेंगी ये कमोडिटीज?

बीते छह हफ्तों में
bold">अभूतपूर्व तेजी के बाद प्रमुख कमोडिटी के दाम तेजी का रुख बरकरार रखने में दिक्कत महसूस कर रहे हैं ... क्या वे अवरोधों से पार पाने में कामयाब रहेंगे ? जिंक ( जस्ता ) रिफाइंड जिंक की मांग - आपूर्ति से जुड़े आंकडे़ जाहिर करते हैं कि 2007 में सतह पर आई जरूरत से ज्यादा आपूर्ति की खाई और गहरी होती चली गई। 2008 में 1,84,000 टन से 48 फीसदी बढ़कर 2009 के शुरुआती छह महीने में इसकी आपूर्ति 2,73,000 टन तक पहुंच गई। 2007 के अंत से जिंक की कीमतें गिरनी शुरू हो गई थीं , जबकि दूसरे बेस मेटल के दामों में 2008 के मध्य में कमजोरी देखने को मिली। उम्मीद की जा रही थी कि मार्च 2009 में इसके दामों में मजबूती लौटना शुरू हो जाएगी। 2009 के लिए इस्तेमाल में 4।9 फीसदी की अनुमानित गिरावट के बदले रिफाइंड उत्पादन में 4 फीसदी की कमी की आशंका है , जिसकी प्रमुख कारण बीते छह महीने के दौरान खर्च में कटौती और इकाइयों के दरवाजे पर ताले लटकना है। 2008 में चीनी की मांग में 12 फीसदी का उछाल आया था , जिससे विकसित मुल्कों में मांग लुढ़कने का प्रभाव कुछ कम रहा। यह चलन इस साल भी जारी रहने का अनुमान है , जिससे दामों को मजबूती मिलेगी। तकनीकी नजरिया जिंक में फिलहाल 1,850 डॉलर प्रति टन पर कारोबार हो रहा है और बीते कई दिनों में इसने 1,920 डॉलर का स्तर छूने की कोशिश की है। 1,920-1,960 डॉलर की रेंज मजबूत रेसिस्टेंस है , क्योंकि इसने न केवल नवंबर 2006 के ऊंचे स्तर को छुआ है , बल्कि फरवरी 2006 में बनाए गए निचले स्तरों को भी देखा है। दूसरी ओर गिरावट को 1,750 डॉलर को मजबूत समर्थन मिला है। अगर सपोर्ट का यह स्तर टूटता है , तो इसके 1,600 डॉलर से नीचे जाने की संभावना नहीं दिखती , क्योंकि कीमत का यह स्तर 100 डीएमए ( डेली मूविंग एवरेज ) और फरवरी 2009 में रिकवरी के बाद बनी ट्रेंडलाइन के करीब है। जिंक की कीमतें इक्विटी बाजारों और तांबे के कीमतों में बदलाव से भी जुड़ी हैं। अगर इक्विटी बाजार नई ऊंचाई छूते हैं या तांबे की कीमत बढ़ती है तो जिंक के दाम 2,150 डॉलर तक पहुंच सकते हैं। (इत हिन्दी)

कोई टिप्पणी नहीं: