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29 सितंबर 2009

मिलों ने कहा, चावल उठाओ, फिर नया धान लेंगे

चंडीगढ़/नई दिल्ली September 29, 2009
पंजाब की चावल मिलों ने आज कहा कि अगर सरकारी एजेंसियां उनके गोदामों में पड़े चावल को नहीं उठाती हैं तो वे मिलिंग के लिए आने वाले नए धान को नहीं लेंगी।
इन चावल मिलों के गोदामों में भारतीय खाद्य निगम का 7.5 लाख टन चावल पड़ा है। मिलों की इस नई घोषणा से केंद्रीय पूल के लिए राज्य में धान की खरीद प्रभावित हो सकती है। दूसरी तरफ चावल की कीमत पर कृषि मंत्री शरद पवार के बयान का कोई असर नहीं पड़ा है।
बीते दिनों चावल की कीमतों में गिरावट का रुख जारी रहा। गुरुवार को कृषि मंत्री ने कहा था कि इस साल चावल के उत्पादन में गिरावट की पूरी आशंका है, लिहाजा चावल के दाम में बढ़ोतरी हो सकती है। पंजाब राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तरसेम सैनी ने कहा कि हम सरकारी एजेंसियों द्वारा मिलिंग के लिए आने वाले धान का भंडार नहीं करेंगे।
यही नहीं हम एफसीआई द्वारा चावल भंडार (7.5 लाख टन) उठाने तक हम अपने स्तर पर भी कोई खरीद नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि मिलों के गोदाम में पड़े चावल के लिए उनकी कोई गलती नहीं है। मिलों के इस फैसले से राज्य में खरीफ सत्र में आज से शुरू हुई धान की खरीद प्रभावित हो सकती है।
पंजाब ने केंद्रीय पूल के लिए 137 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है। राज्य में धान की खरीद प्रक्रिया की अह्म भूमिका है क्योंकि सरकारी एजेंसियां खरीद के बाद धान मिलों के पास भेजती हैं जो मिलिंग से इसे चावल में बदलती हैं। राज्य की मिलों ने भारतीय खाद्य निगम के रवैए की आलोचना की है।
एफसीआई ने पिछले साल मानकों के अनुकूल नहीं बताते हुए 7.5 लाख टन चावल उठाने से इनकार कर दिया था। मिलों ने सरकार से मांग की है कि वह रंग तथा नुकसान के बारे में अपने नियमों को नरम बनाए। सैनी ने कहा है कि पीएयू 201 किस्म धान की मिलिंग से आया चावल एफसीआई के नियमों पर खरा नहीं उतरता। मिलें चाहती हैं कि इस तरह की जांच के लिए स्वतंत्र लेबोरेटरी बने।
बासमती चावल के भाव में 150 रुपये प्रति क्विंटल तो पूसा-1121 के भाव में 300 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गयी। गौरतलब है कि इससे पहले चीनी के मामले में कृषि मंत्री के बयान के तुरंत बाद चीनी की कीमत में बढ़ोतरी दर्ज की गयी। इससे गुरुवार को यह आशंका बन गयी थी कि चावल के दाम भी इस बयान के बाद बढ़ सकते हैं।
दिल्ली अनाज मंडी के कारोबारियों के मुताबिक फिलहाल बाजार में सरकार की खरीद कीमत से भी कम कीमत पर पीआर 106 या परमल उपलब्ध है। परमल चावल की सरकारी खरीद कीमत 1700 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि अनाज मंडी में यह चावल मात्र 1550-1600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से उपलब्ध है।
चावल के थोक व्यापारी एवं दिल्ली अनाज मंडी के अध्यक्ष नरेश कुमार गुप्ता कहते हैं कि कृषि मंत्री के इस बयान से सरकार के पास अगले डेढ़ साल के लिए पर्याप्त अनाज होने के दावे पर भी सवाल उठने लगे हैं। अभी हाल ही में खरीफ के रकबे में पिछले साल के मुकाबले आयी कमी के बाद सरकार ने कहा था कि देश की खपत के हिसाब से अगले डेढ़ साल के लिए अनाज की कोई कमी नहीं है।
चावल कारोबारियों के मुताबिक फिलहाल चावल के दाम में बढ़ोतरी के कोई आसार नहीं हैं। हरियाणा एवं पंजाब की मंडियों में नए धान की आवक शुरू हो गयी है। गैर बासमती के निर्यात पर लगी पाबंदी को और सख्त कर दिया गया है। बाजार में गेहूं भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद है। ऐसे में अगले नवंबर तक चावल के दाम में तेजी की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है।
रबी की बुआई अच्छी रही तो तब तो आगे भी चावल के दाम पुराने स्तर पर ही कायम रहेंगे। व्यापारियों का यह भी कहना है कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगी पाबंद हटने के बाद भी चावल में बढ़ोतरी दर्ज नहीं की जाएगी। (बीएस हिन्दी)

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