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31 अक्तूबर 2009

नई सप्लाई की कमी से फिर बढ़ने लगे प्याज के दाम

महाराष्ट्र से नई फसल के प्याज की आवक बहुत धीमी होने के कारण इसके दाम फिर से बढ़ने लगे हैं। इसके दाम पिछले दस दिनों के दौरान दिल्ली में 25 फीसदी बढ़कर 2100 रुपये प्रति क्विंटल तक हो चुके हैं। जबकि नासिक में इसके दाम 600-1000 रुपये से बढ़कर 800- 1400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी को देखते हुए भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) ने इसके न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को 145 डॉलर बढ़ाने की तैयारी कर ली है।पीएम ऑनियन कंपनी आजादपुर के मालिक पीएम शर्मा ने बिजनेस भास्कर को बताया कि प्याज की नई सप्लाई के जोर नहीं पकड़ने के कारण इसके मूल्यों में इजाफा हो रहा हैं। उनका कहना है कि इस बार प्याज की नई आवक 20-25 दिन की देरी से शुरू हुई हैं। जो अभी भी धीमी चल रही है। मंडी में नई प्याज के महज 20 ट्रक आ रहे हैं। मंडी में इसकी कुल सप्लाई 100 ट्रकों की है। नाफेड के एक अधिकारी ने अनुसार इसके मूल्यों को नियंत्रित हेतु घरेलू बाजार में उपलब्धता बढ़ाने के लिए एमईपी को 145 डॉलर से बढ़ाकर 445 डॉलर प्रति टन करने पर सहमति बन गई है। जल्दी ही इस बारे में फैसला हो जाएगा। एमईपी बढ़ाने की घोषणा तीन नवंबर को होने की संभावना है।प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह फसल कमजोर होना हैं। राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में सितंबर माह के अंत में भारी बारिश होने के कारण 15-25 फीसदी प्याज की फसल को नुकसान होने की आशंका हैं। आंध्र प्रदेश में 25 फीसदी और कर्नाटक में 35 फीसदी प्याज की फसल खराब हो गई है। हालांकि मध्य प्रदेश और राजस्थान में प्याज का अधिक उत्पादन होने की संभावना हैं। वर्तमान में खरीफ प्याज की सप्लाई राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से हो रही है। नई प्याज के अलावा अधिक मात्रा में स्टोर प्याज की सप्लाई मंडियों में हो रही हैं। देश में प्याज का स्टॉक घटकर 25 फीसदी यानि 5 लाख टन ही रह गया है। गौरतलब है कि चालू माह के शुरूआत में अचानक प्याज के दाम दोगुने होने के कारण नेफेड ने अक्टूबर माह के लिए एमईपी में 85 डॉलर प्रति टन का इजाफा किया था। इससे पहले अक्टूबर माह के लिए इसे सितंबर के स्तर पर रखा गया था। अक्टूबर में एमईपी बढ़ने के बाद प्याज के मूल्यों में गिरावट भी आई थी। (बिज़नस भासकर)

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