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28 अक्तूबर 2009

ड्यूटी फ्री चावल आयात की सरकार ने दी मंजूरी

देश में सूखा और बाढ़ के दोहरे संकट से खाद्यान्न उत्पादन गिरने की आशंका को देखते हुए बाजार में चावल की सुलभता बढ़ाने के लिए ड्यूटी फ्री आयात की मंजूरी दी है। सरकार ने चावल के आयात पर लगने वाली 70 फीसदी ड्यूटी अगले साल सितंबर तक के लिए समाप्त कर दी है। इस साल धान का उत्पादन 160 लाख टन गिरने का अनुमान है। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आयात शुल्क हटाने के संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। एक कर विशेषज्ञ ने कहा कि सेमी-मिल्ड व पूरी तरह तैयार चावल और पॉलिश्ड व नॉन पॉलिश्ड चावल पर ड्यूटी खत्म की गई है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अगुवाई वाले खाद्यान्न पर बने अधिकार प्राप्त मंत्रीसमूह ने पिछले दिनों चावल के आयात पर शुल्क हटाने का फैसला किया था। इससे पहले सरकार ने मार्च 2008 से मार्च 2009 तक ड्यूटी फ्री चावल आयात की अनुमति दी थी। उस समय महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए यह कदम उठाया गया था। इसके बाद एक अप्रैल 2009 को दुबारा ड्यूटी लगा दी गई। मौजूदा सीजन में देश के आधे से ज्यादा हिस्से में सूखे का प्रकोप रहा। इसके बाद आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में बाढ़ ने फसल को नुकसान पहुंचाया। इससे मुख्य रूप से गर्मियों में बोई जाने वाली धान की फसल की पैदावार गिरने की आशंका पैदा हो गई।सूखा सहने वाली धान की नई वैरायटी तैयारभुवनेश्वर। सेंट्रल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) ने धान की एक ऐसी किस्म विकसित की है जो तीन सप्ताह तक बिना सिंचाई के सुरक्षित रह सकती है। बारिश की कमी से इस किस्म के धान की पैदावार प्रभावित नहीं होगी। सीआरआरआई के डायरेक्टर टी. के. आध्या ने बताया कि सहभागी नाम की इस वैरायटी को सेंट्रल वैरायटी रिलीज कमोटी की ओर से दो दिन पहले मंजूरी मिल गई है। इस वैरायटी के धान की बुवाई करने पर किसानों को 35 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की पैदावार मिल सकती है। वैज्ञानिकों ने इससे पहले इसी तरह की खासियत वाली कलिंगा वैरायटी का विकास किया था, जिसकी पैदावार 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर रहती थी। (डो जोंस) (बिज़नस भास्कर)

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