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31 अक्तूबर 2009

बलराम चीनी को खरीदेगी बजाज हिंदुस्तान

मुंबई : देश की सबसे बड़ी चीनी कंपनी बजाज हिंदुस्तान इस क्षेत्र की दूसरी बड़ी कंपनी बलरामपुर चीनी को खरीदने के लिए उससे बातचीत कर रही है। बजाज हिंदुस्तान डील के लिए लेवरेज बायआउट तरीके का इस्तेमाल कर सकती है। इसमें खरीदी जाने वाली कंपनी की संपत्ति के बदले सौदे के लिए कर्ज लिया जाता है। यह सौदा 1,600 करोड़ का हो सकता है। यह डील दो चरणों में होगी। पहले बजाज हिंदुस्तान बलरामपुर चीनी में इसके प्रमोटर सरावगी परिवार की पूरी 36।5 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी। इसके बाद वह कंपनी की 20 फीसदी हिस्से के लिए ओपन ऑफर लाएगी। इस अखबार के टीवी चैनल ईटी नाउ ने गुरुवार दोपहर को इस डील का खुलासा किया। इस मामले से जुड़े कई सूत्रों ने बताया कि बजाज हिंदुस्तान और बलरामपुर चीनी इस सौदे को आखिरी रूप दे रही हैं। उनके मुताबिक डील का एलान अगले 10 दिनों में हो सकता है। बलरामपुर चीनी को इसके लिए बजाज हिंदुस्तान की ओर से नॉन-कम्पीट फीस भी मिल सकती है। भारत में कंपनी बिकने की सूरत में प्रमोटर 25 फीसदी तक नॉन-कम्पीट फीस वसूल सकते हैं।
इस सौदे में मर्चेंट बैंकर शामिल नहीं हैं। माना जा रहा है कि चार्टर्ड एकाउंटेंसी फर्म लोढ़ा एंड कंपनी सरावगी परिवार की मदद कर रही है। हालांकि ईटी इसकी अलग से पुष्टि नहीं कर पाया। सौदे पर बजाज हिंदुस्तान के प्रवक्ता ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। बलरामपुर चीनी मिल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर विवेक सरावगी ने पिछले हफ्ते ऐसी किसी बातचीत से इनकार किया था, लेकिन शुक्रवार को उनका रुख नरम नजर आया। ईटी के संपर्क करने पर उन्होंने न ही डील को लेकर चल रही बातचीत की पुष्टि की और ना ही इससे इनकार किया। उन्होंने कहा, 'मैं सौदे के लिए बातचीत पर ना ही हां कह रहा हूं और ना ही नहीं।' आगे पूछने पर उन्होंने कहा, 'दो बिजनेस घरानों के बीच कारोबारी रणनीति पर बातचीत हो सकती है। हालांकि अब तक कुछ भी नहीं हुआ है।'सौदे की जानकारी रखने वाले सूत्र ने बताया कि बलरामपुर चीनी पर कोई कर्ज नहीं है। ऐसे में लेवरेज डील के लिए कंपनी की बैलेंस शीट का इस्तेमाल किया जा सकता है। दूसरी ओर बजाज हिंदुस्तान की आर्थिक मुश्किलें हाल ही में खत्म हुई हैं। चीनी की कीमतों और वैश्विक शेयर बाजार में एक साथ आई मजबूती से वह कर्ज का बोझ कम करने में कामयाब हुई। इस साल जुलाई में बजाज हिंदुस्तान ने शेयर बेचकर 723 करोड़ रुपए जुटाए थे। इसका इस्तेमाल उसने कर्ज चुकाने में किया। इसके बाद बजाज हिंदुस्तान का डेट इक्विटी रेशियो 2.5:1 से घटकर 1:1 हो गया है। ऐसे में सौदे के लिए खुद कर्ज लेकर बजाज हिंदुस्तान अपनी बैलेंस शीट पर दबाव नहीं बढ़ाना चाहेगी। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के रिसर्च एनालिस्ट विक्रम सूर्यवंशी ने बताया कि बजाज हिंदुस्तान की उत्तर प्रदेश के प्रतापपुर जिले में तीन मिलें हैं। ये मिलें बलरामपुर चीनी की मिलों के पास हैं। ऐसे में अधिग्रहण से बजाज हिंदुस्तान को मामूली फायदा हो सकता है। एक इनवेस्टमेंट बैंकर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अगर सौदे के लिए दुरुस्त वित्तीय इंतजाम नहीं होते तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। (ई टी हिन्दी)

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