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25 नवंबर 2009

छोटे चौधरी की पंचायत सुलझाएगी गन्ना मसला!

लखनऊ November 24, 2009
उत्तर प्रदेश का चीनी उद्योग गन्ने की कीमतों पर उठा बवाल खत्म करने के लिए अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) की मदद ले सकता है।
इस मसले के तूल पकड़ने की वजह से प्रदेश में पेराई सीजन को रफ्तार पकड़ने में देरी हो रही है। प्रदेश की मायावती सरकार ने गन्ने की सामान्य किस्मों के लिए राज्य सलाह मूल्य (एसएपी) 165 रुपये प्रति क्विंटल रखा है, जबकि रालोद प्रदेश के किसानों को गन्ने की बेहतर कीमत दिलाने के लिए चलाए जा रहे अभियान का नेतृत्व कर रहा है।
इससे पहले गन्ने की बेहतर कीमत दिए जाने को लेकर किसानों ने नई दिल्ली में भारी प्रदर्शन किया था, जिसका नेतृत्व मुख्य रूप से रालोद ने किया। इसके चलते केंद्र सरकार उस गन्ना अध्यादेश पर पुनर्विचार करने पर बाध्य हुई, जिसमें एसएपी और उचित एवं लाभकारी कीमत (एफआरपी) के बीच अंतर की भरपाई करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाली गई थी न कि चीनी मिलों पर।
अब रालोद ने इस मसले पर उत्तर प्रदेश में बंद का आह्वान किया है। किसानों ने 15 रुपये प्रति क्विंटल बोनस के साथ गन्ने की 180-185 रुपये प्रति क्विंटल कीमत को अस्वीकार कर दिया है। अजित सिंह की पार्टी ने प्रदेश में गन्ना उगाने वाले किसानों को उनकी फसल के लिए 280 रुपये प्रति क्विंटल चुकाए जाने की मांग को पूरा समर्थन दिया है।
बहरहाल भारतीय चीनी मिल संगठन (इस्मा) ने आज एक बैठक कर इस मसले पर आगे की रणनीति बनाने पर चर्चा की। सिंभावली शुगर्स के कार्यकारी निदेशक जी एस सी राव ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, 'हम उम्मीद जता रहे हैं कि अगले 2 दिन में यह मसला सुलझा लिया जाएगा।'
उधर किसानों में भी यह मामला सुलझाने के प्रति छटपटाहट बढ़ गई है। अगले महीने से रबी मौसम शुरू होने वाला है। ऐसे में उन पर जमीन खाली करने का दबाव बढ़ गया है। प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि मुरादाबाद, जेपी नगर, बिजनौर और बरेली जिलों की करीब 19 चीनी मिलों में पेराई शुरू हो चुकी है।
राज्य के गन्ना आयुक्त सुधीर एम बोबडे ने कहा, '14 निजी, 4 सहकारी और चीनी निगम की एक मिल समेत कुल 19 मिलों में पेराई चल रही है।' उन्होंने बताया कि मिलों को गन्ने की आपूर्ति दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा, 'सरकार इस मसले का हल निकालने और किसानों को बेहत कीमत दिलाने की यथासंभव कोशिश कर रही है।'
हालांकि रालोद और किसानों की मांग के मुताबिक सरकार की ओर से एसएपी पर पुनर्विचार की संभावना कम नजर आ रही है, क्योंकि ऐसा करने पर चीनी मिलें अदालत का सहारा ले सकती हैं। इससे मामला सुलझने के बजाए और उलझ सकता है।
दूसरी तरफ पिछले वर्ष से अब तक चीनी कीमतें दोगुनी हो जाने की वजह से किसान गन्ने का मूल्य 280 रुपये प्रति क्विंटल किए जाने की मांग पर अड़े हैं। उत्तर प्रदेश में कुल 157 चीनी मिलें हैं, जिनमें से 93 निजी क्षेत्र की हैं। इनमें से केवल 132 चालू हालत में हैं, जिनमें वर्ष 2008-09 के दौरान पेराई हुई थी। (बीएस हिन्दी)

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