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26 नवंबर 2009

बासमती का पेटेंट बचाने के लिए कानूनी मुहिम में जुटा एपेडा

कृषि एवं प्रसंस्करित खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपेडा) ने बासमती चावल के बौद्धिक संपदा अधिकारों (पेटेंट) के संरक्षण के लिए कोशिश तेज कर दी है। एपेडा ने इस मुहिम में मदद के लिए कानूनी फर्मे से बोलियां आमंत्रित की हैं। एपेडा के एक अधिकारी ने बुधवार को कहा कि बासमती चावल के पेटेंट के भारत और विदेशों में संरक्षण के लिए कानूनी फर्मे से मदद मांगी गई है और इसके लिए आवेदन मांगे गए हैं। बोलीदाताओं को 10 दिसंबर तक तकनीकी और वित्तीय बोली अलग-अलग जमा करनी होगी। बोलियां पूरी होने के बाद दो सप्ताह के भीतर टेंडर पर फैसला कर लिया जाएगा। टेंडर नोटिस के मुताबिक जिन कानूनी फर्मे की स्थापना को पांच साल से ज्यादा का समय हो गया है और बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) में पिछले तीन वर्षे में पांच करोड़ रुपये से ज्यादा का टर्नओवर रहा है वे बोली में भाग ले सकती हैं। साथ ही फर्म को भौगोलिक संकेतों से संबंधी मामले सुलझाने में पांच वर्ष से ज्यादा का अनुभव होना चाहिए। जिस कंपनी का चयन किया जाएगा वह एपेडा को बासमती के पेटेंट की सुरक्षा और पूरे बौद्धिक संपदा अधिकार कानूनों के मामले में सलाह देगी। साथ ही बासमती का देश और विदेशों में पेटेंट कराने में भी मदद देगी। मालूम हो कि एपेडा के पास बासमती चावल सहित विशेष कृषि उत्पादों के पेटेंट संरक्षण के लिए कदम उठाने की वैधानिक शक्ति है। एपेडा ने कहा है कि कानूनी सलाहकार की पहली जिम्मेदारी त्नबासमतीत्न नाम को देश और विदेशों में मिल रही चुनौती से निपटना है। कानूनी फर्म देश और विदेशों की कानूनी अदालतों में एपेडा का प्रतिनिधित्व करेगी, जिनमें ज्योग्रॉफिकल इंडीकेशंस रजिस्ट्री, ट्रेड मार्क रजिस्ट्री और बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड शामिल हैं। कई विदेशी कारोबारी बासमती के ब्रांड नाम की नकल करने की कोशिश कर चुके हैं, इसलिए एपेडा पेटेंट संरक्षण के लिए सचेत हो गई है। (बिज़नस भासकर)

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