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24 नवंबर 2009

वायदा बाजार आयोग को शक्तियां देने की कवायद

गोदामों और हाजिर बाजार को एफएमसी के तहत लाने के प्रस्ताव के साथ उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय पहुंचा पीएमओ
राजेश भयानी / मुंबई November 22, 2009
वायदा बाजार नियामक, वायदा बाजार आयोग के तहत गोदामों और हाजिर बाजार को लाने के लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय का रुख किया है।
मंत्रालय ने एक नया प्रस्ताव पेश किया है, जिससे जिंस वायदा बाजार का नियमन करने वाले वायदा बाजार आयोग केतहत गोदामों के नियमन को भी लाया जा सके। इस प्रस्ताव में जिंस से जुड़ी गतिविधियों के नियमों को एक नियामक के तहत लाने की बात कही गई है, जिससे जिंस कारोबार को राष्ट्रीय स्तर पर देशव्यापी इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म पर लाया जा सके।
यह कदम वित्त मंत्रालय के ताजा प्रस्ताव के बाद लाया जा रहा है, जिसमें जिंस वायदा को सेबी के तहत लाने की बात कही गई है। उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय यह तर्क दे रहा है कि जिंस वायदा और पूंजी बाजार का नियमन कुछ अलग-अलग से हैं, जिसमें बाजार की प्रकृति की भिन्नता और हिस्सेदारों के हितों में अंतर शामिल है।
कारोबारी और वायदा कारोबार करने वाले एक्सचेंज गोदाम की सुविधाओं का उपयोग करते हैं। इसे मानकों के तहत लाए जाने और गुणवत्ता सुनिश्चित किए जाने के लिए जिंस वायदा नियामक, वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के तहत लाया जाना चाहिए। अब वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट ऐंड रेग्युलेशन एक्ट पारित कर दिया गया है और इसके लिए अलग से एक नियामक की नियुक्ति कर दी गई है।
वायदा बाजार आयोग जहां उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के तहत आता है वहीं गोदाम, उसी मंत्रालय के खाद्य विभाग के तहत आते हैं। गोदामों द्वारा जारी की गई गोदामों की रसीद डिलिवरी के साक्ष्य के रूप में प्रयोग की जाएगी। यह जिंस बाजार वायदा नियामक के मानकों के तहत होगी, जैसा कि नैशनल स्पॉट मार्केट और सामानों की डिलिवरी करने में जारी होता है।
नियामक के लिए गोदाम, जमा केंद्र की तरह होंगे। योजना आयोग के सदस्य और महंगाई दर पर वायदा बाजार के प्रभाव के आकलन के लिए गठित आयोग के चेयरमैन डॉ. अभिजीत सेन ने कहा, 'दोनों गतिविधियां एक दूसरे से जुड़ी हुई है। इसे एक मंत्रालय के तहत लाए जाने की जरूरत है।'
उन्होंने कहा कि गोदाम अधिनियम में अलग नियामक की व्यवस्था है और इसे एफएमसी के तहत लाए जाने के लिए अधिनियम में संशोधन की जरूरत होगी। मंत्रालय का मानना है कि इसे एक नियामक के तहत लाए जाने के इस क्षेत्र के नियमन और विकास में उचित समन्वय स्थापित हो सकेगा।
गोदाम अधिनियम में वैज्ञानिक ग्रेडिंग, रखरखाव, संग्रहण और इलेक्ट्रॉनिक गोदाम रसीद की व्यवस्था है। बहरहाल ऐसी रसीद का प्रयोग एक्सचेंज से डिलिवरी के लिए किया जा सकता है, जो एफएमसी और नैशनल स्पॉट एक्सचेंज के तहत आता है, वह मंत्रालय भी चाहता है कि उसका नियमन एफएमसी के तहत होना चाहिए। केवल कुछ स्थानांतरण आपसी आधार पर हो सकते हैं।
एफएमसी इसके लिए भी अधिकृत है औ्र अब तक 69 गोदाम एजेंसियों का नियमन करता रहा है, जिनकी क्षमता 14.10 लाख है और ये देश के 14 राज्यों में फैली हैं। इस तरह से आयोग को गोदामों के वैज्ञानिक संग्रहण सहित गोदाम रसीद के बारे में पर्याप्त अनुभव है। इस तरह से एफएमसी अलग नियामक के तौर पर काम कर रहा है और इससे नियामक मतभेद पैदा होने की पूरी संभावना है।
मंत्रालय ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि जिंस वायदा एक्सचेंजों द्वारा स्थापित वेयरहाउसिंग अथॉरिटी नैशनल स्पॉट एक्सचेंज को भी एफएमसी के तहत लाया जाना चाहिए। ये स्पॉट एक्सचेंज भी गोदाम रसीद व्यवस्था के तहत डिलिवरी दे रहे हैं।
मंत्रालय का प्रस्ताव
गोदामों के लिए अलग नियामक के बजाय इसे वायदा बाजार आयोग के तहत लाया जाएमंत्रालय का तर्क है कि जिंस कारोबार के नियमन से जुड़े सभी मामले एक नियामक के अधीन होंऐसा करने से समन्वय स्थापित होगा (बीएस हिन्दी)

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