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26 नवंबर 2009

एफएमसी के हाथ से निकल सकता है वेयरहाउसिंग का मामला

मुंबई : कमोडिटी बाजार की नियामक संस्था फारवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) को वायदा बाजार में वेयरहाउसिंग के मामले पर निर्णय करने का अधिकार छोड़ना पड़ सकता है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जहां बताया कि वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) में चेयरमैन नियुक्त करने की प्रक्रिया चल रही है, वहीं एक अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि हाल ही में सेवानिवृत्त हुए प्रशासनिक अधिकारी प्रसन्ना कुमार का नाम इस पद के लिए प्रस्तावित है। अधिकारी ने बताया कि संभावित उम्मीदवार के नाम को कृषि मंत्री शरद पवार से मंजूरी मिल जाने के बाद इसे संस्तुति के लिए पीएमओ भेजा जाएगा। शरद पवार ने पिछले हफ्ते ईटी को बताया था कि किसी भी उम्मीदवार की संस्तुति के लिए उनके पास अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं आया है।
कोई अलग नियामक न होने के कारण एफएमसी वर्ष 2004 से ही एनसीडीईएक्स, एमसीएक्स और एनएमसीई में वेयरहाउसिंग प्रणाली को देख रही है। वायदा कारोबार में कोई विक्रेता एक्सचेंज से मंजूरी प्राप्त वेयरहाउस में गुड्स की डिलीवरी करता है। इसके बदले वेयरहाउस विक्रेता को रसीद जारी करता है। इसके लिए जरूरी है कि वेयरहाउस एफएमसी के साथ भी सूचीबद्ध हो। सौदे की परिपक्वता पर विक्रेता, खरीदार को एक्सचेंज के जरिए रसीद का स्थानांतरण करता है। एफएमसी का कहना है कि उसके अधिकार क्षेत्र में महज सौदे का कार्यान्वयन ही नहीं, बल्कि फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट के निपटान भी शामिल हैं, लिहाजा इसे वेयरहाउस रसीदों की डिलीवरी से जुड़ी कोई भी गड़बड़ी होने पर कदम उठाना पड़ता है। इसलिए डब्ल्यूडीआरए के तहत एफएमसी की भूमिका वेयरहाउसिंग डेवलपमंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी के रूप में स्पष्ट होनी चाहिए। इससे डब्ल्यूडीआरए एक्ट 2007 के प्रावधानों को और तेजी से लागू किया जा सकेगा। इसी साल इस संबंध में एक विमर्श पत्र खाद्य और उपभोक्ता मामलों के विभागों के सचिवों को जारी किया गया था। बहरहाल वेयरहाउस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा कि अगर एफएमसी वेयरहाउसिंग प्रक्रिया का विनियमन करते रहने को इच्छुक है तो उसे 2007 में डब्ल्यूडीआरए के लागू होने से पहले ही अपने पक्ष में पुख्ता दलील देनी चाहिए थी। उन्होंने कहा, 'अब एफएमसी के लिए थोड़ी देर हो गई लगती है।' डब्ल्यूडीआरए एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना वेयरहाउसिंग (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट, 2007 के तहत की गई थी ताकि वेयरहाउस रसीदों को कारोबार योग्य बनाया जा सके। (ई टी हिन्दी)

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