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29 दिसंबर 2009

किसानों की रुचि बढ़ने से आलू का ज्यादा उत्पादन होगा

पिछले सीजन में आलू के अच्छे दाम मिलने की वजह से चालू सीजन (वर्ष 2009-10) के दौरान किसानों की दिलचस्पी ज्यादा रही। इसके कारण आलू के उत्पादन में चार फीसदी वृद्धि होने का अनुमान है। इस दौरान पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश और पंजाब में आलू की पैदावार बढ़ने की संभावना है जबकि बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक में पैदावार घटने का अनुमान है।राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास फाउंडेशन(एनएचआरडीएफ) के निदेशक आर.पी. गुप्ता ने बिजनेस भास्कर को बताया कि चालू वर्ष के दौरान किसानों को आलू के औसतन 1,000 -1100 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से दाम मिले। यह मूल्य पिछले सीजन के मुकाबले काफी अधिक है। इस वजह से नए सीजन में किसानों ने इसकी बुवाई अधिक जमीन में की। जिससे चालू सीजन में आलू की पैदावार करीब चार फीसदी बढ़ने का अनुमान है। उनके मुताबिक अभी तक आलू की फसल में कोई बीमारी न लगने के कारण भी पैदावार बढ़ने का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि पिछले सीजन में लेट ब्लाइट बीमारी के कारण कुछ राज्यों में आलू का उत्पादन घटा था।एनएचआरडीएफ के अनुसार सीजन 2009-10 के दौरान कुल 18.84 लाख हैक्टेयर जमीन में 327.33 लाख टन आलू का उत्पादन होने का अनुमान है। पिछले सीजन के दौरान 18.10 लाख हैक्टेयर में 314.62 लाख आलू पैदा हुआ था। इस दौरान उत्तर प्रदेश में आलू का उत्पादन 135 लाख से बढ़कर 136.40 लाख टन, पंजाब में 14 लाख से बढ़कर 15 लाख टन , पश्चिम बंगाल में यह 70 लाख से 83.25 लाख टन और मध्य प्रदेश में 8.65 लाख से बढ़कर 13.60 लाख टन होने का अनुमान है। गुप्ता कहना है कि गुजरात में बारिश की कमी के कारण इसके उत्पादन में गिरावट आई। बिहार में आलू का उत्पादन करीब 23 फीसदी घटकर 16.62 लाख टन रहा। पिछले साल भी बिहार में आलू कम पैदा हुआ था। जानकारों के मुताबिक आलू का बीज महंगा होने के कारण बिहार में किसानों आलू की बुवाई अधिक नहीं कर पाए। उनके मुताबिक बिहार सरकार की बेरुखी के चलते किसानों को सस्ता बीज नहीं मिल पाया। लिहाजा इसका उत्पादन कम है। वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने पंजाब से बीज खरीदकर किसानों को सब्सिडी पर सस्ता बीज मुहैया कराया था। इस वजह से राज्य में पैदावार सबसे अधिक 13.25 लाख टन बढ़ने का अनुमान है। वहीं गुजरात में आलू का उत्पादन 16.41 लाख से घटकर 15.40 लाख टन, महाराष्ट्र में 4.35 लाख से घटकर 3.70 और कर्नाटक में 7.15 लाख से घटकर 6.40 लाख टन रह सकता है। उत्पादन बढ़ने से अगले साल उपभोक्ताओं को आलू की महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद है। वहीं किसानों को भी इसके अच्छे मिलने के संकेत हैं। गुप्ता कहना है कि किसानों को 500-600 रुपये प्रति क्विंटल भाव मिलने की उम्मीद है। (बिज़नस भास्कर)

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