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24 दिसंबर 2009

भारत में आयात न होने की संभावना से चावल सुस्त

घरेलू बाजार में चावल के नियंत्रित भाव और पर्याप्त सप्लाई से साफ है कि भारत निकट भविष्य में चावल आयात नहीं करेगा। भारत में आयात न होने की संभावना से वैश्विक बाजार में भाव सुस्त पड़ गए हैं।कृषि एवं खाद्य मंत्री शरद पवार ने बुधवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि देश में चावल बफर स्टॉक के मानदंडों से काफी ज्यादा है। ऐसे में भारत को आयात करने की जरूरत नहीं है। एक दिसंबर को भारत का चावल स्टॉक 229 लाख टन था जो बफर स्टॉक की निर्धारित सीमा 52 लाख टन से काफी ज्यादा है। इस खबर से वैश्विक चावल बाजार में मंदड़िये हावी हो गए। फिलीपींस में चावल आयात के टेंडरों की कीमत उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ने का भी असर सीबॉट में चावल के वायदा भावों पर पड़ा है और पिछले सात सत्रों में सीबॉट में चावल वायदा 11 फीसदी गिर चुका है। भारत में कमजोर मानसून के कारण चावल उत्पादन घटने की संभावना से ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि भारत जल्द ही चावल आयात करेगा। इससे वैश्विक बाजार में चावल की कीमतें तेजी से बढ़ रही थीं। लेकिन आयात की संभावनाएं उस समय क्षीण हो गईं, जब भारत ने ऊंची कीमतों के कारण 30,000 टन चावल आयात के टेंडर रद्द कर दिए। देश का खरीफ सीजन में चावल उत्पादन 716।5 लाख टन रहने की संभावना है, जबकि गत सीजन में यह 845.8 लाख टन रहा था। लेकिन आखिरी दौर में अच्छी बारिश के कारण उत्पादन पिछले अनुमान से 20 लाख टन ज्यादा रहने की संभावना है। ऐसे में 30 सितंबर 2010 को समाप्त होने वाले फसली वर्ष में कुल सप्लाई 902.2 लाख टन रहेगी। केंद्र के पास 153 लाख टन का बकाया स्टॉक भी है। ऐसे में चावल की उपलब्धता 1055.2 लाख टन रहेगी, जबकि देश की वार्षिक खपत 900 लाख टन है। (बिज़नस भास्कर)

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