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20 जनवरी 2010

पश्चिम बंगाल में कच्चे जूट के दाम गिरे

पश्चिम बंगाल की जूट मिलों में 14 दिसंबर से चल रही कर्मचारियों की हड़ताल से कच्चे जूट की कीमतों में पांच फीसदी की गिरावट आई है। दरअसल कर्मचारी जूट मिलों में कर्मचारी महंगाई भत्ता, प्रॉविडेंट फंड, ग्रेज्युटी, बोनस और न्यूनतम मजदूरी के भुगतान की मांग को लेकर कर्मचारी बेमियादी हडताल पर हैं। इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन के चैयरमेन संजय कजरिया ने बिजनेस भास्कर को बताया पश्चिम बंगाल की 54 में से 50 जूट मिलों में हड़ताल लंबी खिंचने की वजह से कज्‍जो जूट (टीडी-5 किस्म) के दाम 2850 रुपये से घटकर 2700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। हैसियन बैग के दाम 61,000 रुपये प्रति टन चल रहे हैं। जूट मिलों में काम न होने से जूट इंडस्ट्री को काफी नुकसान हुआ है। साथ ही जूट बाजार में किसी भी तरह की हलचल नहीं है। कजरिया का कहना उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इससे इंडस्ट्री को करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है। उनके अनुसार 2।61 लाख कर्मचारी हडताल पर हैं।वहीं दूसरी ओर जूट मिलों में उत्पादन प्रभावित होने से रबी विपणन सीजन 2010-2011 के लिए जूट बैग की सप्लाई प्रभावित हो सकती है। इस दौरान करीब 10 लाख गांठ बी-टी बैग की आवश्यकता होती है। सरकार ने जूट के उत्पादन में आ रही कमी के मद्देनजर जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की थी। सीजन 2009-10 के लिए सरकार ने एमएसपी को दस फीसदी बढ़ाकर 1375 रुपये प्रति क्विंटल किया। अगले सीजन के लिए एमएसपी में 300 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा होने की संभावना है। चालू सीजन के दौरान देश में जूट का उत्पादन 96.98 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि सरकार ने 102 लाख गांठ का लक्ष्य रखा था। उल्लेखनीय है कि नई फसल के पहले जुलाई में पिछली समान अवधि के मुकाबले जूट के दाम दोगुने बढ़कर 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक चले गए थे। इसकी वजह वायदा बाजार में सट्टेबाजी थी। देश में सबसे अधिक जूट का उत्पादन पश्चिम बंगाल में किया जाता है। यहीं पर सबसे अधिक जूट मिल हैं। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, असम और बिहार समेत अन्य राज्यों में भी जूट का उत्पादन होता है। (बिज़नस भास्कर)

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