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17 फ़रवरी 2010

बीटी बैगन की उम्मीदें लंबे वक्त के लिए धूमिल

नई दिल्ली February 17, 2010
बीटी बैगन को व्यावसायिक खेती के लिए न लाए जाने के फैसले पर 7-8 सालों बाद ही फिर से समीक्षा हो पाएगी।
जीईएसी में सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से स्वतंत्र नामित सदस्य पुष्प भार्गव ने कहा कि स्वतंत्र प्रयोगशालाओं के निर्माण में ही 5 साल का वक्त लगेगा। हालांकि पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने समीक्षा के लिए किसी तरह की समयावधि तय करने से इनकार किया है।
पिछले हफ्ते रमेश ने कहा था कि जेनेटिकली मोडिफाइड सब्जियों के लंबे समय में होने वाले प्रभावों को जांचने के लिए स्वतंत्र जांच प्रयोगशालाओं की जरूरत है। जब उनसे यह पूछा गया कि इसमें कितना वक्त लगेगा, तो उन्होंने सीधा जवाब दिया, 'इतनी जल्दी क्या है?'
जीएम खाद्य उत्पाद और दवाओं में समानता दिखाते हुए भार्गव का कहना है, 'किसी भी दवा को बाजार में आने में 15 सालों का वक्त लगता है।' भागर्व एक जाने-माने जीव-विज्ञानी हैं। इन्होंने जैव प्रौद्योगिकी तकनीक विभाग की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा स्थापित नैशनल नॉलेज कमीशन के उपाध्यक्ष रह चुके हैं।
बीटी बैगन पर फिलहाल रोक लगाए जाने के बाद अगला कदम क्या होगा, इस पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि सरकार को जीईएसी का पुनर्गठन करना चाहिए। अच्छी पहचान वाले योग्य वैज्ञानिकों को इसका सदस्य बनाया जाना चाहिए। भार्गव ने कहा, 'फिलहाल यहां कोई भी ऐसा सदस्य नहीं है जो देश में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिकों के बीच जाना जाता है।
जीईएसी ने बीटी बैगन के व्यावसायिक खेती को हरी झंडी दिखा दी थी, लेकिन जीईएसी के निर्णय और वैज्ञानकों की राय में मतभेदों को लेकर सवाल खड़े किए गए थे। भार्गव ने जीईएसी के कार्यविधि की खुले तौर पर आलोचना की है। उनका कहना है कि इस तरह के रवैये से जीएम उत्पादों को लेकर स्वास्थ्य खतरा और बढ़ जाता है।
सदस्यों के काम करने के तरीकों पर सवाल उठाने हुए उन्होंने कहा कि जीएम खाद्य के प्रतिकूल असर संबंधी करीब 50 मामले सामने आए थे। जीईएसी में इस तरह के एक भी अध्ययन पर चर्चा नहीं की गई। भार्गव ने कहा, 'एक वैज्ञानिक बहस का हिस्सा होने के नाते आपको इस तरह के हर मसले पर बहस करनी चाहिए।'
परीक्षण के लिए स्वतंत्र इकाई की स्थापना पर भार्गव जैव प्रौद्योगिकी विभाग की तरफ से प्रस्तावित राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी नियामक प्राधिकरण और राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी नियमन विधेयक 2008 पर थोड़ा संदेह प्रकट करते हैं।
वक्त चाहिए
बीटी बैगन की खेती की समीक्षा में लगेंगे अभी 7-8 सालजानकारों के मुताबिक स्वतंत्र प्रयोगशालाओं के निर्माण में ही लग जाएंगे 5 साल (बीएस हिन्दी)

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