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24 फ़रवरी 2010

संभावनाओं के सहार चढ़ गए कॉपर के दाम

वैश्विक स्तर पर इंवेंट्री बढ़ने के बावजूद कॉपर की कीमतों में इजाफा हुआ है। चालू वर्ष 2010 से निवेशकों और कारोबारियों को काफी ज्यादा उम्मीदें हैं। उनका अनुमान है कि बीते वर्ष के मुकाबले आर्थिक हालात सुधरने से पूर विश्व में कॉपर के दाम चढ़ेंगे। इसी वजह से बढ़ती इंवेट्री भी निवेशकों को चिंताजनक नहीं लग रही है। लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में चालू माह के दौरान कॉपर तीन माह अनुबंध के दाम 6693 डॉलर से बढ़कर 7364 डॉलर प्रति टन हो चुके हैं। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में इस दौरान अप्रैल वायदा के दाम 318 रुपये से बढ़कर 338 रुपये प्रति किलो हो चुके हैं। मेटल विश्लेषक अभिषेक शर्मा ने बिजनेस भास्कर को बताया कि एलएमई में इस माह कॉपर की इंवेट्री 5।43 लाख से बढ़कर 5.54 लाख टन हो गई है। इसके बावजूद कॉपर की कीमतों में 600 डॉलर प्रति टन से भी अधिक बढ़ोतरी हुई है। उनका कहना है कि कॉपर का प्रमुख उपभोक्ता देश चीन की मांग में भी कमी आई है। चीन ने जनवरी में 2.92 लाख टन कॉपर का आयात किया है, जबकि दिसंबर में यह आंकड़ा 3.69 टन पर था। इसके अलावा डॉलर भी यूरो के मुकाबले मजबूत हुआ है। शर्मा के मुताबिक इन परिस्थितयों में कॉपर के दाम घटने चाहिए थे लेकिन कॉपर के मूल्य में तेजी ही आई है। दिल्ली के कॉपर कारोबारी सुरश चंद गुप्ता का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ने से घरेलू बाजार में भी इसके मूल्यों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि निकट भविष्य में इसके मूल्यों में गिरावट आ सकती है। शर्मा का कहना है कि ऊंचे दाम पर बिकवाली के दबाव से इसकी कीमतों में कमी आने की संभावना है। उधर इंटरनेशनल कॉपर स्टडी ग्रुप (आईसीएसजी) के मुताबिक इस साल चीन में कॉपर की खपत आठ फीसदी बढ़कर 58.3 लाख टन तक पहुंच सकती है। यही कारण है कि इन दिनों आगे मांग बढ़ने की उम्मीद में कॉपर के दाम बढ़ रहे हैं। कॉपर की सबसे अधिक खपत इलैक्ट्रिकल में 42 फीसदी, भवन निर्माण में 28 फीसदी, ट्रांसपोर्ट में 12 फीसदी होती है। (बिज़नस भास्कर)

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