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27 फ़रवरी 2010

संतुलन है, विकास नहीं

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को संसद में पेश वर्ष 2010-11 के लिए 11,08,749 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। इस बजट को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार की समावेशी विकास की अवधारणा पर आधारित बताया जा रहा है। इसमें 3,73,092 करोड़ रुपये के आयोजना और 7,37,657 करोड़ रुपये के गैर-आयोजना व्यय का प्रावधान किया गया है। संसाधनों के मोर्चे पर वित्त मंत्री ने 6,82,212 करोड़ रुपये के राजस्व का अनुमान लगाया है। जबकि राजकोषीय घाटे का अनुमान 3,81,408 करोड़ रुपये रखा है जो सकल घरलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.5 फीसदी है। चालू साल में यह जीडीपी के 6.9 फीसदी पर रहा है।प्रणब मुखर्जी के इस बजट में सरकार और उद्योग के बीच संतुलन की कोशिश की गई है। उन्होंने अप्रत्यक्ष करों में बढ़ोतरी कर स्टिमुलस पैकेज की वापसी की शुरूआत इस बजट में की है। साथ ही सार्वजनिक खर्च में बढ़ोतरी से उद्योग के लिए मांग बढ़ाने की कोशिश की है। महंगाई पर काबू पाने के लिए कारगर कदम उठाने की बजाय इस बजट में महंगाई बढ़ाने वाले उपायों ने विपक्ष को एकजुट कर दिया। संसद के इतिहास में पहली बार समूचे विपक्ष ने बजट का विरोध करते हुए सदन का बहिष्कार कर दिया। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने बजट को जनता के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह महंगाई बढ़ाने वाला बजट है।कौटिल्य को उद्धृत करते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा कि एक बुद्धिमान समाहर्ता राजस्व संग्रह इस प्रकार करगा कि उत्पादन और उपभोग अनिष्ट रूप से प्रभावित न हो.. लोक संपन्नता, प्रचुर मात्रा में कृषि उत्पादकता और अन्य बातों के साथ वाणिज्यिक समृद्धि पर वित्तीय संपन्नता निर्भर करती है। लेकिन क्या प्रणब मुखर्जी ने इसका पालन किया है?
वित्त मंत्री ने मध्य वर्ग को खुश करने के लिए प्रत्यक्ष कर की दरों के लिए स्लैब में बदलाव किये हैं। उन्होंने 1.60 लाख रुपये से तीन लाख रुपये तक की 10 फीसदी की आयकर स्लैब को बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया है। इसके पहले तीन से पांच लाख रुपये तक की आय पर 20 फीसदी कर लगता था लेकिन अब यह पांच लाख रुपये से आठ लाख रुपये तक की आय पर लगेगा। इसी तरह पांच लाख रुपये से अधिक की आय पर लगने वाली 30 फीसदी की आय कर दर अब आठ लाख रुपये से अधिक की आय पर लागू होगी। आयकर अधिनियम की धारा 80-सी के तहत कर छूट वाले निवेश के लिए ढांचागत क्षेत्र बांड के जरिये 20,000 रुपये की अतिरिक्त सुविधा जोड़ दी गई है।
कारपोरट क्षेत्र के लिए सरचार्ज को 10 फीसदी से घटाकर 7.5 फीसदी किया है लेकिन न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) को 15 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी किया गया है। मैट उन कंपनियों पर लगता है जो कारपोरशन कर नहीं देती हैं लेकिन उनको एक फिक्स दर पर मैट देना होता है।
प्रत्यक्ष करों में राहत के उलट प्रणब ने उत्पाद शुल्क की केंद्रीय दर सेनवैट को आठ फीसदी से बढ़ाकर दस फीसदी कर दिया है। सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर में किये गये इन बदलावों के जरिये प्रणब मुखर्जी ने लोगों पर 46,500 करोड़ रुपये का बोझ डाल दिया है। प्रत्यक्ष करों में 26,000 करोड़ रुपये की छूट के बावजूद 20,500 करोड़ रुपये का नया बोझ उन्होंने करदाताओं पर डाल दिया है। बजट में सेवाकर से प्राप्तियां बढ़ाई तो गई हैं लेकिन जीडीपी की हिस्सेदारी के रूप में यह अब भी बहुत कम है। प्रत्यक्ष कर छूट का फायदा उच्च मध्य वर्ग को अधिक मिलेगा लेकिन अप्रत्यक्ष करों में बढ़ोतरी का बोझ हर वर्ग को झेलना होगा। कर बढ़ोतरी के चलते पेट्रोल की कीमत में 2.71 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम मे 2.55 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो गई जो आज आधी रात से लागू हो जाएगी। सोने और चांदी पर सीमा शुल्क को 50 फीसदी बढ़ा दिया है। केवल यही नहीं स्टील, सीमेंट सहित तमाम उत्पाद महंगे हो गये हैं।
उत्पादों की कीमत में बढ़ोतरी के साथ इसकी शुरुआत हो गई है और यह कदम महंगाई दर में बढ़ोतरी का काम करगा। पहले ही करीब 20 फीसदी की खाद्य मुद्रास्फीति का दंश झेल रहे लोगों महंगाई का नया दौर झेलना होगा। वित्त मंत्री ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च 1,73,552 करोड़ रुपये रखा है। जो आयोजना व्यय का 46 फीसदी है। इसमें उन्होंने करीब 66,000 करोड़ रुपये की ग्रामीण योजनाओं को भी शामिल कर लिया है। जिसमें अकेली 40,100 करोड़ रुपये की महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना भी शामिल है। वित्त मंत्री के बजट पेश करने के कुछ घंटों बाद वित्त सचिव अशोक चावला ने कहा कि वित्त मंत्री ने बजट में चार मुद्दों को केंद्र में रखा है। पहला है विकास, दूसरा राजकोषीय संतुलन, तीसरा सार्वजनिक व्यय के जरिये समावेशी विकास और चौथा है वित्तीय हस्तक्षेप। लेकिन क्या वाकई उनके प्रावधान इन बातों के अनुरूप हैं?
सामाजिक क्षेत्र के लिए उन्होंने 1,37,674 करोड़ रुपये के व्यय का प्रावधान किया है जो आयोजना व्यय का 37 फीसदी है। लेकिन इसमें सर्वशिक्षा अभियान से लेकर ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और कई नई पुरानी योजनाएं शामिल हैं। मात्र 1000 करोड़ रुपये के कोष के सहार वह 110 करोड़ लोगों के देश में राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा प्रदान की उम्मीद पाले हुए हैं।
जबकि उन्हें मालूम है कि देश में करीब 90 फीसदी कामकाजी लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। इसी तरह मात्र 100 करोड़ रुपये के कोष के जरिये वह लोगों को सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन का लाभ पहुंचाने की उम्मीद कर रहे हैं। जिस महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को ग्रामीण क्षेत्र में विकास का पहिया तेज करने और ग्रामीण मांग का वाहक बताया जा रहा है उसके लिए पिछले साल के 39,100 करोड़ रुपये के मुकाबले 2.5 फीसदी बढ़ाकर 40,100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वहीं ग्रामीण आवास के लिए करीब 1000 करोड़ रुपये और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए केवल 600 करोड़ रु पये की बढ़ोतरी की गई है।दिलचस्प बात यह है कि बीस लाख रुपये तक का घर खरीदने वाले मध्य वर्ग के लिए एक फीसदी की ब्याज सब्सिडी को एक साल जारी रखने के लिए प्रणब मुखर्जी ने 1000 क रोड़ रुपये का प्रावधान किया है लेकिन देश की करीब 40 फीसदी गरीब आबादी के लिए स्लम फ्री जीवन देने का सपना व मात्र 1270 करोड़ रुपये से पूरा करना चाहते हैं। इसी तरह नरगा को स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लाने, प्रधानमंत्री दक्षता परिषद के लिए 45 करोड़ रुपये देने और महिला किसान सशक्तिकरण योजना के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। महिलाओं के लिए साक्षर भारत योजना की घोषणा उन्होंने की लेकिन इसके लिए कोई वित्तीय आवंटन उन्होंने नहीं किया है। शिक्षा के कुल खर्च 45,711 करोड़ रुपये रख गया है।
इसमें समावेशी विकास के लिए कृषि क्षेत्र को मजबूत करने की बात कही गई है लेकिन बजट में कृषि क्षेत्र के लिए आयोजना व्यय में 11,880 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जो पिछले बजट के आवंटन से करीब 1700 करोड़ रु पये ही अधिक है। चालू साल में 0.2 फीसदी की गिरावट वाले कृषि क्षेत्र को इस आवंटन के सहार चार फीसदी की विकास पर लाने की उम्मीद की गई है। किसानों को पांच फीसदी की ब्याज दर पर कर्ज देने के लिए ब्याज सब्सिडी बढ़ाई गई है लेकिन यह दर समय पर कर्ज की अदायगी की हालत में ही लागू होती है।
पिछले साल यह दर छह फीसदी थी। इसके साथ ही कृषि ऋण आवंटन का लक्ष्य 3,75,000 करोड़ रु पये करने की बात कही गई है। कृषि ऋण के आवंटन को लेकर सवाल उठते रहे हैं पिछले वित्त वर्ष में यह लगातार लक्ष्य से पी छे रहा लेकिन अंतिम आंकड़ों में लक्ष्य हासिल करने की कलाकारी कैसे हुई यह समझना टेढ़ी खीर है। (बिज़नस भास्कर)

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