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17 मार्च 2010

मिल्क पाउडर के सीमित आयात पर शुल्क हटाया

केंद्र सरकार को आखिरकार देश में दूध और दुग्ध उत्पादों के बढ़ते मूल्य पर अंकुश लगाने की पहल करनी ही पड़ गई। सरकार ने स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) और बटर ऑयल के सीमित आयात को शुल्क मुक्त कर दिया है। इससे आने वाले दिनों में दुग्ध उत्पादों और दूध के दाम कम करने पर दबाव बन सकता है। बिजनेस भास्कर ने 18 फरवरी के अंक में ही आयात शुल्क हटने की संभावना जताई थी। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार देश में 30,000 टन एसएमपी और 15,000 टन बटर आयल के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी गई है। सरकार का यह कदम उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है लेकिन दूध उत्पादक किसानों के लिए यह खरीद मूल्य में भारी गिरावट का कारण बन सकती है। अभी तक बटर आयल पर 30 फीसदी का सीमा शुल्क लागू था। यह आयात एनडीडीबी द्वारा खुद या सरकारी एजेंसियों एमएमटीसी, एसटीसी, पीईसी और नेफेड के जरिये ही किया जा सके गा। कोई उपयोगकर्ता उद्योग एनडीडीबी में आवेदन कर आयात कर सकता है, लेकिन सौदा करने के बाद आयात का जिम्मा सरकारी एजेंसियों का ही होता है। प्रमुख डेयरी कंसल्टेंट डॉ। आर.एस. खन्ना का कहना है कि विश्व बाजार में एसएमपी और बटर आयल की उपलब्धता काफी है। इसके बड़े निर्यातकों आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड डेयरी बोर्ड की कीमतें पोलैंड व यूक्रेन से ज्यादा हैं, लेकिन उनकी गुणवत्ता बेहतर है। जहां तक अमेरिका, कनाडा और यूरोप की बात है तो वहां एसएमपी निर्यात पर सब्सिडी दी जाती है और वहां भी कीमत आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड से कम है। सरकार का यह फैसला अगर लागू होता है तो इससे दूध किसानों को मिल रही खरीद कीमत दो रुपये लीटर तक गिर सकती है। फायदेमंद पहलदेश में 30,000 टन एसएमपी और 15,000 टन बटर आयल के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी गई है। सरकार का यह कदम उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है लेकिन दूध उत्पादक किसानों के लिए यह खरीद मूल्य में भारी गिरावट का कारण बन सकती है। अभी तक बटर आयल पर 30 फीसदी का सीमा शुल्क लागू था। (बिज़नस भास्कर)

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