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29 मार्च 2010

आलू ने निकाला किसानों का कचूमर

कोलकाता March 28, 2010
आलू का बंपर उत्पादन पश्चिम बंगाल के किसानों के लिए नासूर बनता जा रहा है। कीमत 2 रुपये प्रति किलोग्राम से भी कम हो गई है।
लागत नहीं निकलने से दुखी किसान खेतों में आलू को नष्ट कर रहे हैं। जलपाईगुड़ी जिले के एक आलू किसान ने इस सप्ताह खुदकुशी कर ली। वर्धवान एवं हुगली जिले के आलू किसान अपने बचाव के लिए रोजाना सरकार से दुहाई कर रहे हैं। हालत ऐसी हो चुकी है कि आलू की सरकारी खरीद के आश्वासन के बाद भी आलू की कीमत में कोई बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है।
पश्चिम बंगाल के साथ अन्य प्रदेशों में भी इस साल आलू की अच्छी फसल है। उत्तर प्रदेश में भी पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी तो पंजाब में 5-10 फीसदी अधिक उत्पादन की खबर है। बिहार एवं असम में भी आलू की आपूर्ति मांग के मुकाबले अधिक हो रही है।
देश के लगभग सभी राज्यों में आलू के भाव पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 10-40 फीसदी तक कम बताई जा रही है। पश्चिम बंगाल के कृषि मंत्री नरेन डे के मुताबिक इस साल राज्य में 95 लाख टन आलू का उत्पादन बताया जा रहा है जो कि सालाना 80-85 लाख टन के औसत उत्पादन से काफी अधिक है।
राज्य में सिर्फ 375 शीत भंडार है और उनकी क्षमता 40 लाख टन की है। इस कारण बाजार में आलू की भरमार हो गई है और अच्छी खासी मात्रा में आलू खेतों में सड़ रहे हैं। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री असीम दास गुप्ता ने अपने बजट भाषण में कहा, 'अधिक उत्पादन के कारण आलू की कीमतों में गिरावट से आलू उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ा है।
लिहाजा सरकार ने यह तय किया है कि पश्चिम बंगाल आवश्यक वस्तु आपूर्ति निगम के मार्फत किसानों से 3.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से आलू की खरीदारी की जाएगी और उसे शीत भंडार में रखा जाएगा।' डे के मुताबिक सरकार ने 10 लाख टन आलू किसानों से खरीदने का फैसला किया है। हुगली एवं वर्धवान में विभिन्न कोपरेटिव के माध्यम से यह खरीदारी शुरू हो गई है।
कृषि कोपरेटिव बैंक के अधिकारियों के मुताबिक असली समस्या यह है कि बाजार तक किसानों की सीधी पहुंच नहीं है। पूरा बाजार बिचौलिए के हाथ में है और वे किसानों को कर्ज देने का भी काम करते हैं। यहां तक कि शीत भंडार की सुविधा पर भी बिचौलियों का नियंत्रण है।
इस साल इन बिचौलियों ने किसानों को 160 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत अदा की है जबकि आलू उत्पादन की लागत 170-175 रुपये प्रति क्विंटल है। सरकारी एजेंसी को भी अलग-अलग किसानों से आलू की खरीदारी करने में कठिनाई होती है और वे भी बिचौलियों से यह खरीदारी करने लगते हैं।
बंपर उत्पादन से बेड़ा गर्क
पश्चिम बंगाल के किसान आलू को खेतों में नष्ट कर रहे हैंजलपाईगुड़ी के एक आलू किसान ने आत्महत्या कीसरकारी खरीद के आश्वासन के बावजूद कीमतों में बढ़ोतरी नहींलागत से कम मूल्य पर आलू बेचने को मजबूर (बीएस हिंदी)

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