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27 मार्च 2010

उद्योग ने चीनी पर पाबंदियों में ढील देने की मांग उठाई

चीनी की गिरती कीमतों से परशान चीनी उद्योग ने पाबंदियों में ढील देने के लिए सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। उद्योग का कहना है कि पाबंदियों की वजह से चीनी उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। उद्योग का दावा है कि इन पाबंदियों से ग्राहक और किसानों को भी कोई फायदा नहीं हो रहा है। इस मुद्दे पर नेशनल फेडरशन ऑफ कोआपरटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफएल) के अध्यक्ष जयंतीलाल बी। पटेल ने सहकारी मिलों के प्रतिनिधियों के साथ केंद्रीय कृषि, खाद्य व नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता सार्वजनिक वितरण मामलों के मंत्री शरद पवार मुलाकात की। फेडरशन ने पवार को पत्र सौंपकर चीनी की बिक्री व डिस्पेच की प्रक्रिया को वापस माहवार करने, बड़े उपभोक्ताओं से स्टॉक लिमिट हटाने और चीनी आयात पर शुल्क लगाने की मांग की है। सरकार ने बीते माह चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी की जांच करने के लिए इसकी ब्रिकी और डिस्पेच प्रक्रिया को माहवार की जगह साप्ताहिक कर दिया था। जिससे चीनी के एक्स फैक्ट्री दाम में गिरावट आई थी। फेडरशन का कहना है कि थोक में गिरावट आने के बावजूद उपभोक्ताओं को ऊंचे मूल्य पर चीनी मिल रही है और फुटकर विक्रेता ज्यादा लाभ कमा रहे हैं। फेडरशन का दावा है कि इस फैसले का ग्राहक और किसानांे को कोई फायदा नहीं मिला है लेकिन मिलों पर दबाव बढ़ने से किसानों के गन्ने का मूल्य घट गया। फुटकर विक्रेताओं और थोक कारोबारियों को जरूर खूब लाभ मिल रहा है। फेडरशन का कहना है कि चीनी के बड़े उपभोक्ताओं जैसे कोल्ड ड्रिंक, कन्फेक्शनरी और बिस्कुट निर्माताओं पर स्टॉक लिमिट लगाने से भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला है। स्टॉक लिमिट लगने के बाद बड़े उपभोक्ताओं ने घरलू चीनी की बजाय आयातित चीनी की ओर रुख किया है। जिस पर कोई स्टॉक लिमिट नहीं है। फेडरशन की मांग है कि सरकार को बड़े उपभोक्ताओं की स्टॉक लिमिट को बढ़ाकर तीन माह कर देना चाहिए। फेडरशन के अनुसार चालू वर्ष में चीनी का उत्पादन बढ़ने की वजह से इसकी उपलब्धता पर्याप्त है। चालू सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़कर 170 लाख टन होने का अनुमान है। काफी मात्रा में आयातित रॉ शुगर और व्हाइट शुगर के सौदे हो चुके हैं। अगले सीजन में भी चीनी का उत्पादन बढ़ने से घरलू मांग पूरी होने का अनुमान है। इन हालातों में सरकार को चीनी के आयात पर शुल्क लगा देना चाहिए। (बिज़नस भास्कर)

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