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29 मार्च 2010

अनुमान से अधिक समय तक मिलों में पेराई

नई दिल्ली March 27, 2010
चीनी मिलों में अनुमान से अधिक समय तक पेराई का काम जारी है। इस कारण उत्पादन में भी अनुमान के मुकाबले अधिक बढ़ोतरी की संभावना है।
बताया जा रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की पैदावार अधिक होने के साथ रिकवरी भी पिछले साल की तुलना में अधिक है। अप्रैल के पहले सप्ताह तक चीनी मिलों में पेराई कार्य जारी रहने के समर्थन से चीनी की कीमतों में नरमी का रुख बरकरार है।
चीनी की कीमतों में गिरावट जारी है और उत्तर प्रदेश की मिलों में चीनी की कीमतें 3000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गई है। चीनी के भाव कम होने से थोक बाजार के कारोबारी भी चीनी उठाने में हिचक रहे हैं।
गत जनवरी माह में इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि इस साल गन्ने के उत्पादन में गिरावट के कारण चीनी मिलों में मध्य मार्च तक पेराई का काम बंद हो जाएगा। लेकिन अब इन कयासों पर विराम लग गया है। क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दर्जनों मिलों में अब भी पेराई चालू है और अप्रैल के पहले सप्ताह तक यहां चीनी उत्पादन का काम चलने की उम्मीद है।
मिलर्स इस बात को स्वीकारते हैं कि इस साल गन्ने की पैदावार पिछले साल के मुकाबले 8-10 फीसदी अधिक है। हालांकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान शुरू से ही इस साल गन्ने की अधिक पैदावार का दावा कर रहे थे। मुरादाबाद की एक चीनी मिल के मुताबिक पैदावार के साथ इस साल गन्ने से मिलने वाली रिकवरी भी अधिक है।
पिछले दो सालों से उन्हें गन्ने से 9 फीसदी तक की रिकवरी मिल रही थी जो कि इस साल बढ़कर 10 फीसदी तक हो गई है। हालांकि इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि तापमान के बढ़ने के साथ ही रिकवरी में कमी आ जाएगी और मिलर्स की लागत बढ़ सकती है।
मिलर्स दबी जुबान से इस बात को भी स्वीकारते हैं कि अप्रैल के पहले सप्ताह तक पेराई चलने से चीनी की कीमतों में और गिरावट हो सकती है। दूसरी तरफ कीमतों में गिरावट के बावजूद बाजार में चीनी की मांग में कोई इजाफा नहीं है। उल्टा बाजार में चीनी का उठाव काफी कम हो गया है।
दिल्ली के एक थोक चीनी व्यापारी कहते हैं, 'हमारी क्षमता 2000 क्विंटल चीनी रखने की है। लेकिन इन दिनों हमारे पास सिर्फ 100 क्विंटल चीनी है। गिरावट के इस दौर में चीनी का स्टॉक रखने का कोई मतलब नहीं है। पर तेजी आते ही दो दिनों में हम अपना स्टॉक भर लेंगे।' कारोबारी यह भी कह रहे हैं कि गर्मी में तेजी आने पर चीनी की मांग भी तेज हो सकती है। (बीएस हिंदी)

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